Book Title: Shadbhashachandrika
Author(s): Kamlashankar Pranshankar
Publisher: Rajkiya Granthamaladhikar Mumbai

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Page 523
________________ 104 Nipatas Alphabetically arranged. तडकडिओ-अनवस्थितः १७७ | दूसळो-दुर्भगः १७२ तणसोली-तृणशून्यम् १७७ दोग्गं-युग्मम् १७० तणेसी-तृणराशिः १७६ दोग्घोटो-द्विपः १६३ तण्णाअं-आर्द्रम् १६७ दोबुरो-तुंबुरिः १७५ तत्तिलो-तत्परः १६७ दोसणिजन्तो-चन्द्रः १७२-३ तत्तुरिअं-रजितम् १८३ दोसारअणो-चन्द्रः १७२-३ तंबकिमी-इन्द्रगोपः १७५ दोसो-कोपः १७५ तंबकुसुमं-१. कुरवकम् ; २. कुरण्टकम् ध १७३ धणिआ धन्या १७० तलं-तल्पम् १६९ धारावासो-दुदुरः १७५ तलारो-तलवरः १७१ धुअराओ-भ्रमरः १७५ तलं-तल्पम् १६९ धुत्तो-आक्रान्तः १८३ तल्लडं-तल्पम् १६९ धुहअं-पुरस्कृतम् १८३ तित्ति-तात्पर्यम् १६७ धूमद्धअमहिसी-कृत्तिकाः १७३ तेआळिसा-त्रिचत्वारिंशत् १७१ धूमरी-तुहिनम् १६५ तेवण्णा-त्रिपञ्चाशत् १७० धोरणी-पतिः १६८ तोमरिओ-शस्त्रमार्जनम् १६९ नंगओ-रुद्धः १८४ थिरणेसो-अस्थिरः १७३ थेरोसणं-अम्वुजम् १७३ पअरो-अर्थदरः १७५ थेवो-स्तोकः १७० पअलाओ-फणी १७३ थोको-स्तोकः १७० पंसुलो-रुद्धः १८४ थोवो-स्तोकः १७० पङ्गुरणं-प्रावरणम् १७० पच्छाणिओ-सन्मुखमागतः १८० दड्डाळी-दववर्त्म १६८ पज्जतरं-दलितम् १८० दरवळ्ळहो-कातरः १७५ पट्ठिअं-अलंकृतम् २८२ दुग्गं-दुःखम् १७२ पडिक्खरो-प्रतिकूल: १७२ दुग्घोटो-द्विपः १६३ पडिरिग्गअं-भग्नम् १८० दुद्दोलना-गौः १६९ पडिसिद्धी प्रतिस्पर्धा १७२ दुंदुमिअं-रसितम् १७८ पडिसोत्तो-प्रतिकूल: १७२ दुम्मइणी-कलहकारिणी १६७ पडिहत्थो-अपूर्वः १८२ दुरिअं-द्रुतम् १७६ पड्डावि-समापितम् १८० दूणो-द्विपः १६३ | पणिळिअं-हतम् १८०-८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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