Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
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आगम
(४४)
प्रत
सूत्रांक
[५०-५१]
दीप
अनुक्रम
[१४३
-१४४]
[भाग-३८] “नन्दी” – चूलिकासूत्र - १ (मूलं + वृत्ति:)
मूलं [५०-५१ ]/ गाथा ||८१...||
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्तिः
श्रीमलयगिरीया नन्दीवृत्तिः
॥२३०॥
पंचवक्खाइ आसयाई एगमेगाए उबक्खाइआए पंचपंच अक्खा इउवक्खाइ आसयाई एवमेव सावरेणं अडाओं कहाणगकोडीओ हर्वतित्ति समक्खायं, नायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्टयाए छट्टे अंगे दो सुअक्खंधा errari अज्झणा गुणवीसं उद्देसणकाला एगूणवीसं समुद्देसणकाला संखेजा पयसहस्सा पग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अनंता पज्जवा परिता तसा अनंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइआ जिrपन्नत्ता भावा आघविज्जन्ति पन्नविज्जंति परुविज्जंति दंसिज्जंति निदंसिजंति उवदंसिजति, से एवं आया एवं नाया एवं विष्णाया एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, से तं नायाधम्मकहाओ ६ । (सू. ५१)
अथ केयं व्याख्या ?, व्याख्यायन्ते जीवादयः पदार्था अनयेति व्याख्या, 'उपसर्गादात' इत्यङ्प्रत्ययः, तथा चाह सूरि:- 'विवाहे ण' मित्यादि, व्याख्यायां जीवा व्याख्यायन्ते शेषमानिगमनं पाठसिद्धं । 'से किं तमित्यादि, अथ कारता ज्ञाताधर्म कथाः १, ज्ञातानि - उदाहरणानि तत्प्रधाना धर्मकथा ज्ञाताधर्मकथाः, अथवा ज्ञातानि - ज्ञाताध्ययनानि
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~ 471~
व्याख्या
धिकार
ज्ञाताधि
कारः
सू. ५०-५१
२०
॥२३०॥
२३
yor

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