Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 513
________________ आगम (४४) प्रत (परिशिष्ठ) [भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) .............................. [अनुज्ञा-नन्दी ] मूलं [१] .......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति: . अनुज्ञा-नन्दी . [अनुज्ञाप्ररूपणा] ॥ से किं तं अणुना ?, अणुना छविहा पण्णत्ता, तंजहा-नामाणुण्णा १ठवणाणुण्णा २ दवा-1 ४|णुण्णा ३ खित्ताणुण्णा ४ कालाणुग्णा५भावाणुण्णा ६, से किं तं नामाणना १,२ जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स पा[५ जीवाणं वा अजीवाणं वा तदुभयस्स या तदुभयाण या अणुण्णत्ति नाम कीरह से तं नामाणुना, से कि तंठवणाणुण्णा ?, ठवणाणुण्णा जे णं कट्ठकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लिप्पकम्मेवा चित्तकम्मे वा गंथिमे वा बेढिमे या पूरिमे वा संपाइमे वा अक्खे वा बराडए वा एगेवा अणेगे वा सम्भावढवणाए वा असम्भावठवणाए वा अणुण्णत्ति ठपणा ठपिजा से तं ठवणाणुण्णा, नामठवणाणं को पइविसेसो ?, नामं आवकहि ठवणा इत्तरिआ पा हुजा आयकहिआ वा, से कि तं दवाणुपणा?, २ दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-आगमओ अनोआगमओ य । से किं तं आगमओ दवाणुण्णा ?, आगमओ दवाणुण्णा जस्स णं अणुण्णत्ति पयं सिक्खिअंठिअंजिमिकं परिजिअं नामसमं घोससम अहीणक्खरं अणच्चक्खरं अवाइद्धक्खरं अक्खलिअं अमिलिअं अविचामेलि पडिपुग्नं पडिपुण्णघोसं कंठोढविष्पमुक्कं गुरुवायणोहावमयं से णं तत्थ वाणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए नो अणुप्पेहाए, कम्हा ?, 'अणुवओगो दर मितिकडु, दा१३ सूत्रांक [] AAAAAX दीप (परिशिष्ठ) अनुक्रम [१] *** अथ अनुज्ञा नन्दी आरब्धा: ... ~513~

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