Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
View full book text
________________
आगम
(४४)
प्रत
सूत्रांक
[४९ ]
दीप
अनुक्रम [१४२ ]
[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र - १ (मूलं + वृत्ति:)
मूलं [४९]/गाथा ||८१...|| ..... पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४ ] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्तिः
श्रीमलय
गिरीया नन्दीवृत्तिः
॥२२९॥
Jan Eucatury
सासयकडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जंति पन्नविज्जंति परूविनंति दंसिजंति निदंसिजंति उवदंसिजंति, से एवं आया से एवं नाया एवं विष्णाया एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, से तं समवाए ४ ॥ ( सू. ४९ )
'से किं तमित्यादि, अथ कोऽयं समवायः १, सम्यगवायो- निश्चयो जीवादीनां पदार्थानां यस्मात्स समवायः, तथा चाह सूरिः - 'समवाए ण' मित्यादि, समवायेन यद्वा समवाये 'ण' मिति वाक्यालङ्कारे, जीवाः 'समाश्रीयन्ते' समिति - सम्यग् यथाऽवस्थितत्या आश्रीयन्ते - बुद्ध्या स्वीक्रियन्ते, अथवा जीवाः समस्यन्ते - कुप्ररूपणाभ्यः समाकृष्य सम्यप्ररूपणायां प्रक्षिप्यन्ते, शेषमानिगमनं निगदसिद्धं, नवरमेकादिकानामेकोत्तराणां शतस्थानकं यावद्विवर्द्धितानां भावानां प्ररूपणा आख्यायते, अयमत्र भावार्थ:- एकसङ्ख्यायां द्विसङ्ख्यायां यावच्छतसङ्ख्यायां ये ये भावा यथा २ यत्र यत्रान्तर्भवन्ति ते ते तत्र तत्र तथा २ प्ररूप्यन्ते, यथा 'एगे आया' इत्यादि ॥
से किं तं विवाहे ?, विवाहे णं जीवा विआहिज्जति अजीवा विआहिज्जति जीवाजीवा विआहिज्जंति ससमए विहिज्जति परसमए विहिज्जति ससमयपरसमए विआहिजंति लोए विहिज्जति अलोए विआहिज्जति लोयालोए विआहिजंति, विवाहस्स णं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजाओ निजुत्तीओ संखेज्जाओ
For Plase Only
व्याख्या-अंग तथा ज्ञाताधर्मकथा - अंग सूत्रयोः शास्त्रिय परिचय: प्रस्तुयते
~469~
समवायाधिकारः
सू. ४९
व्याख्याधिकारः
सू. ५०
ज्ञाताषि.
सू. ५१
२०
॥२२९॥
२५

Page Navigation
1 ... 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528