Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
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आगम
(४४)
[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
............. मूलं [१५]/गाथा ||८१...|| ....... पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति:
प्रत
अनुत्तरोपपातिकाप्रश्नन्या. करणा. सू.५४-५५
सूत्राक
[५५]]
से किं तं पण्हावागरणाई?, पण्हावागरणेसु णं अटुत्तरं पसिणसयं अदुत्तरं अपसिणसय अठुत्तरंप- सिणापसिणसयं, तंजहा-अंगुट्रपसिणाई बाहुपसिणाई अदागपसिणाईअन्नेवि विचित्ता विजाइसया नागसुवण्णेहिं सद्धिं दिव्या संवाया आघविजंति, पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखेजा वेढा संखेजा सिलोगासंखेजाओ निजुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओसंखेज्जाओ पडिवत्तीओ,सेणं अंगठ्याए दसमे अंगे एगे सुअक्खंधेपणयालीसं अज्झयणा पणयालीसं उद्देसणकाला पणयालीसं समुद्देसणकाला संखेजाइं पयसहस्साई पयग्गेणं संखेजा अक्खरा अणंता गमा अणंतापजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयगडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावा आघविजंति पन्नविजंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसिजति उवदंसिर्जति, से एवं आया से एवं नायाएवं विन्नाया एवं चरणकरणपरूवणा आपविजइ, सेतं पण्हावागरणाई १०॥ (सू.५५) 'से किं तमित्यादि, अथ कानि प्रश्नव्याकरणानि ?, प्रश्नः-प्रतीतः तद्विषयं निर्वचनं-व्याकरणं, तानि च बहूनि ततो बहुवचनं, तेषु प्रश्नव्याकरणेषु अष्टोत्तरं प्रश्नशतं-या विद्या मत्रा वा विधिना जप्यमानाः पृष्टा एव सन्तः शुभाशुभं कथयन्ति ते प्रश्नाः तेषामष्टोत्तरं शतं, या पुनर्विद्या मन्त्रा वा विधिना जप्यमाना अपृष्टा एव शुभाशुभं कथयन्ति
दीप अनुक्रम [१४८]
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प्रश्नव्याकरण-अंग सूत्रस्य शास्त्रिय परिचय: प्रस्तुयते
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