Book Title: Sanskar Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 266 // संस्कार-रोहितचर्मप्राग्ग्रीवमुपरिलोमास्तीर्णभवति // कलौतदभावप्रागग्रानुदगग्रान्वा भास्कर. कुशानास्तरेत् // तदुपरितांव—प्रत्यङ्मुखीदृढपुरुषउन्मथ्योत्क्षिप्योपवेशयति // ॐ इहगावोनिषीदविहाश्वाइहपूरुषाः // इहोसहस्रदक्षिणोयज्ञऽइहपूषानिषीदतु॥ // 1 // इत्यनेनदृढपुरुषपठितेनमंत्रेण // केचित्तुजामातरंदृढमाचक्षते // अस्मि न्पजामातैवोत्क्षिप्यमंत्रमुक्त्वाआस्तृतकुशेषूपवेशयतिवधूं // ततआगत्यपूर्ववद्य। थास्थानंवरोदक्षिणतउपविश्यपश्चात्विष्टकृद्धोमंकुर्यात् // ॐ अग्नयेस्विष्टकृते / स्वाहा // इदमनयेस्विष्टकृतेनमम // ततःसंस्रवप्राशनादिप्रणीताविमोकांतहोमशे / समाप्य // अथस्वकीयाचार्यायगोदानंकरोतिब्राह्मणश्चेज्जामात्रेवाक्षत्रियआ. 1 दृढपुरुष कश्चिद्धलवान्पुरुपइतिहरिहरः // दृढपुरुषोजितेंद्रियइतिभर्तृयज्ञः // जामातैवदृढपुरुषइ // 266 // तिरेणुकाशोदीक्षितगंगाधराः॥ 5000000000000000000 GAORGAORORGROAAOOR For Private and Personal Use Only

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