Book Title: Sanskar Bhaskar
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 514
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir युणा // अर्कापत्यानिनोदेहितत्सर्वक्षतुमर्हसि // 1 // // इत्युक्त्वाशांतिसूक्तंचज हप्त्वाचविसृजेत्पुनः // गोयुग्मंदक्षिणांदद्यादाचार्यायचभक्तितः // इतरेभ्योपिविप्रे / भ्योदक्षिणांचापिशक्तितः // तत्सर्वंगुरवेदद्यादंतेब्राह्मणभोजनं // एवमौसमभ्य य॑विधिनामानुषीपुरा // उदहेदन्यथानैवपुत्रपौत्राभिवृद्धिमान् // एवमेतद्विजश्रे| ष्ठविधिनासम्यगुद्हेत् // धनधान्यसमृद्धिंचइच्छाभीष्टवरंब्रजेदित्यर्कीविवाहक मः // // अथप्रयोगः // // अत्रक्रियमाणविवाहाप्राक्चतुर्दिनादिव्यवहितरवि / शनिवासरेहस्तनक्षत्रेवाशुभतिथ्यादिदिनेग्रामात्प्राच्यामुदीच्यांवापुष्पफलयुतार्की / गुल्मंप्रयोज्यतदधोभागेपुरतःस्थंडिलंविरच्य // अर्कीपश्चिमतोयजमानउपवि श्य॥ गुल्मस्यसमंतातप्रागाद्यष्टदिक्षुतंदुलेनाष्टदलानिविरच्य // आचम्यप्रणाना है। यम्यदेशकालकीर्तनांतेममतृतीयमानुषीविवाहजन्यदोषपरिहारार्थशुभफलप्राप्तये / HWARROR00000000000000000000000 Sa00A0AOROAAWA0A0A0AUSA0AMAAN For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530