Book Title: Sanskar Bhaskar
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 518
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ० गो० अ० प्र० अ० श. पुत्राय // अ० गो० अ० प्र० अ० शर्मणेवराय // 3 अथार्कीपक्षे // काश्यपगोत्रस्यकाश्यपावत्सारनैध्रुवेतित्रिप्रवरस्यआदित्यस्यप्र| पौत्रीं // का गोका त्रिप्र० सवितुःपौत्रीं // का० गोका त्रिप्र० अर्कस्यपुत्रीं॥ का० गोत्रोत्पन्नांका प्रित्र० अर्कीनाम्नीइमांकन्यांसूर्यदैवत्यांतवतृतीयमानुषीवि वाहदोषनिरासार्थभार्यात्वेनतुभ्यमहसंप्रददे // अनेनार्कीशाखांवरहस्तेदत्वातदुप। रिसकुशोदकंनिषिचेत् // एवंत्रिवारंकुर्यात् // वरस्यकाश्यपगोत्रंचेत्तहिदानाचा / आर्यःअर्कीनाम्नीइमांकन्यांसूर्यदत्तांविभाव्यस्वगोत्रोच्चारपूर्वकंआत्मनश्चत्रिपूर्वजान् / ममपुत्रींइत्यूहंकुर्यात् // // अर्कीकन्यामिमांविप्रयथाशक्तिविभूषिताम् // गोत्रा / यशर्मणेतुभ्यंदत्तांविप्रसमाश्रय // 1 // ॥ततोवर अर्युपरिअक्षतान्गंधपुष्पोद | 7000-ROM For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530