Book Title: Sanskar Bhaskar
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Page 516
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit FASOO MANON प्रार्थयेत् // त्रिलोकवासिन्सप्ताश्वछाययासहितोरवे // तृतीयोहाहजंदोषनिवारय / सुखंकुरु // 1 // ततो॰आपोहिष्ठेतितृचेनशुद्धजलेनाभिषिच्यषोडशोपचारैःसं | पूज्यप्रदक्षिणांकुर्यात् // तत्रमंत्रः॥ममप्रीतिकरायावत्वयासृष्टापुरातनी // अर्क जाब्रह्मणासृष्टावस्माकंपरिरक्षतु // 1 // इत्येका // नमस्तेमंगलेदेविनमःसवितुरा | त्मजे // रक्षमांकृपयाशश्वत्पत्नीत्वंमेइहागता // 1 // इतिद्वितीयप्रदक्षिणा // त ? तोर्कीप्रार्थयेत् // अकित्वंब्रह्मणासृष्टासर्वप्राणिहितायच // वृक्षाणामादिभूतात्वं / / देवानांप्रीतिवर्धिनी // 1 // सर्वारिप्रहरानित्यंसर्वमंगलदायिनी // तृतीयोहाहजं | पापंमृत्युचाशुविनाशय // 2 // // ततःआचार्यःदेशकालौ कश्यपगोत्रोत्पन्नांआ | दित्यस्यप्रपौत्रीसवितुःपौत्री अर्कस्यपुत्रीं // अमुकगोत्रायवरायदास्येइतिवाग्दा / नंकृत्वा // वाग्दानधर्मसिंधुमयूखयोर्नोक्तं // शांतिसारदर्पणेचउक्तम् // // ततो।। For Private and Personal Use Only

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