Book Title: Sanskar Bhaskar
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Page 522
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मदिनकृत्यंब्राह्मे // चतुर्थे दिवसेतीतेपूर्ववत्तांप्रपूज्यच // विसृज्यहोममग्निंचविधि नामानुषींपरां // उद्बहेदन्यथानैवपुत्रपौत्रसमृद्धिमान् // अयंचार्कविवाहःकाश्यप गोत्रिणोनभवतिगोत्रैक्यात् // अथवासूर्येणचंद्रायदत्तांविभाव्यकाश्यपगोत्रस्था | नेअत्रिगोत्रंकन्याविशेषणसंकीर्त्यआदित्यसवित्रस्थानेचंद्रसोमेंदुशब्दानुच्चारये / दितिकेचित् // अत्रगोत्रैक्यंनदोषायेत्यन्ये // काश्यपगोत्रोवरःस्वगोत्रविरुद्धगो / त्रिणमाचार्यपरिकल्प्यतस्मादीप्रतिगृण्हीयात् // आचार्यस्तुसूर्यदत्तांविभाव्य Pain काश्यपगोत्रस्थानेस्वगोत्रकन्याविशेषणसंकीर्त्य // आदित्यसवित्रस्थानेस्व / पित्रादित्रयस्वनामचकीतयेत् // एवंरीत्यैवकाश्यपगोत्रवरस्यअर्कविवाहोयुक्तइ: तिगोपीनाथदीक्षिताः॥ एवंकृत्वाविधानंतुभार्याक्षेमंचविंदतीति॥ ॥इति श्री Mमदृषिभट्टविरचितेसंस्कारभास्करेअर्कीविवाहप्रयोगः॥ // 9AAROOOOOOOOOOOOOO4 POROGADAHAROROGRORORGAON For Private and Personal Use Only

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