Book Title: Sanskar Bhaskar
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Page 513
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandit भास्कर, संस्कार // 28 // पिंचयेत् // // अत्रहोमप्रकार शौनकेनदर्शितः॥ तृतीयेतुविवाहेचसंप्राप्तेपुरुषस्य | तु // अर्काविवाहंवक्ष्यामिशौनकोक्तविधानतः // अर्कीसन्निधिमागत्यतत्रवस्त्या : |दिवाचयेत् // नांदीश्राद्धप्रकुर्वीतआचार्यंवरयेत्ततः // अर्कीमभ्यय॑सौर्याचगंध पुष्पाक्षतादिभिः // सौर्याएवचसूर्यश्चआकृष्णेनऋचेनच // स्वयंचालंकृतस्तद्रवस्त्र माल्यादिभिःशुभैः॥ अर्कस्योत्तरदेशेतुस्थंडिलंकारयेत्ततः // उल्लेखनादिकंकृत्वा / अग्निसंस्थापयेत्ततः॥ ब्रह्मासनादिकंकृत्वासमन्वारब्धएतया // एतयाअर्ककन्य: या // संस्कृताज्यस्रवेणैवआधारांतमतःपरं // आज्याहुतिंचजुहुयात्संगोभिरनौ कया // यस्मैत्वाकामकामश्चएकयाचततःपरं // व्यस्ताभिश्चसमस्ताभिस्ततश्चति / / ष्टकृद्भवेत् // परिवेशनपर्यंतमयाश्चेत्यादिकंक्रमात् // प्रार्थनामंत्रादिविशेषमाह || // 28 // व्यासः // पुनःप्रदक्षिणंकृत्वामंत्रमेतमुदीरयेत् // मयाकृतमिदंकर्मस्थावरेषुजरा | POPOSA0A0A For Private and Personal Use Only

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