Book Title: Sanskar Bhaskar
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Page 508
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद थअखंडसौभाग्यप्राप्तयेचविष्णुप्रतिमादानंकरिष्ये // ताम्रपात्रेतंदुलेनापूर्शनदुपारे / स्वर्णमयींकृतान्युत्तारणप्राणप्रतिष्ठांविष्णुप्रतिमांचतुर्भुजायुधान्वितांशतिष्ठाप्यषो | डशोपचारैःपूजयेत्॥ पूजाकालेपीतांबरादिवस्त्राणिकुंडलायलंकान्कुिंकुमादिपुष्प / मालाश्चापयित्वाप्रणमेत् // भगवन्कमलाकांतसर्वमंगलदायक // हत्वासर्वाण्यरि / शिष्टानिसौभाग्यंचाभिवर्धय // 1 // इतिसंप्रार्थ्य.. प्रतिगृहीतारंब्राह्मणंसंपूज्या / चितप्रतिमांसोपस्कारांदद्यात् // दानमंत्रस्तु॥ यन्मयाप्रांच्यजनुषीनंत्यापतिसरी मागमं // विषोपविषशस्त्रायैर्हतोपाांतसुरक्तया॥ प्राप्यमाणंमहाघोरंयशःसौख्य डाधारतरं वैधव्यायद्विादुखिोघान्नाशयसुखलब्धये // बहुसौभाग्यदात्रीचमहावि ष्णोरिमांतर्नु // सौवर्णीप्रतिमांशत्यातुभ्यंसंप्रददेद्विज // 1 // इमांमयाचितांवि गष्णुप्रतिमांसोपस्कारांवैधव्यारिष्टनिरासाथैअखंडसौभाग्यप्राप्तयेचअमुकशर्मणे / A.C For Private and Personal Use Only

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