Book Title: Sanskar Bhaskar
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Page 510
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AOREACOCAAS डिलंरचयेदुधः॥ व्यासः॥स्नाखालंकृतवासांसिरत्नगंधविभूषितः॥सुपुष्पफलशाख चअर्कीगुल्मसमाश्रयेत् // सलक्षणेनकुंभस्थामीसंस्थाप्ययनतः॥ अर्ककन्याप्र: दानार्थआचार्यकल्पयेत्पुरा // उभौगोत्रविभिन्नंतंशांतंदांतंदयान्वितं // आ चार्येणस्वयंभाव्यंदत्तांसूर्येणकन्यकां // अर्कीसविधिमागत्यतत्रवस्त्यादि / वाचयेत् // नांदीश्राद्धहिरण्येनअष्टवर्गान्प्रपूजयेत् // // पूजयेन्मधुपर्केण: आचार्योरत्नतोवरं // यज्ञोपवीतंवस्त्रंचहस्तकर्णादिभूषितं // उष्णीषंगंधमाल्यादि। वरायचप्रदापयेत् // ब्रह्मपुराणे // यथाविधीतिरुच्येतइत्यस्यानंतरंक्रमः॥ कृत्वा कपुरतस्तिष्ठन्प्रार्थयेत्तुद्विजोत्तमान् // त्रिलोकवासिन्सप्ताश्वछाययासहितोरवे // तृतीयोहाहजंदोषंनिशरयसुखंकुरु // 1 // तत्राध्यारोप्यदेवेशंछाययासहितंरविं॥ शवस्त्रमाल्यैस्तथागंधस्तन्मंत्रणप्रपूजयेत् // तन्मंत्रआकृष्णेनेति // अन्यच्च // श्वे॥ For Private and Personal Use Only

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