Book Title: Sanskar Bhaskar
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Page 505
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार // 281 // न्योहाह्या // पुनर्भूदोषाभावस्तुविधानखंडे // स्वर्णद्रुपिप्पलानांचप्रतिमाविष्णुरू भास्कर. पिणी // तयासहविवाहेतुपुनर्भूत्वंनजायते // सूर्यारुणसंवादे // विवाहात्पूर्वकाले हैं। तारकानक्षत्रेषुचद्रधुसंसंस्थाप्यविधिवत्तत्रद्रुप्रतिमांयजेत्॥मधुपर्कादिकंदत्वा / नायवधूप्रवेशः शुभः // हिरागोणकुंभेनसहचोदहेत् // सूत्रेणवेष्टयेत्पश्चाद्दशतं , शुक्रादिदोषाश्चवा हिरागमोपियदिाववंदिरे // ततःकुंभचनिःसार्यप्रभज्यसलि शतिशुक्रादिदोषोस्तादिदोषश्चनास्ति // यथा ॥गेलंकारवस्त्राठ्यांवरायप्रतिपाद | दशाहेसमवासरेषु // नचात्रऋक्षनतिथिनयोगोनवारएकांतेविष्णुमंदिरेगत्वा : केवलांगिरसकेवलभृगुभरद्वाजवसिष्ठकश्यपात्रिवत्सगोत्राणाकीर्तनानंतरंकन्या : रेवत्यश्विनीभरणीकृत्तिकायचरणेषुचंद्रेसतिशुक्रस्यांधत्वात्प्रतिशुवैधव्यारिष्ट // 28 // दुर्भिक्षेदेशविप्लवेविवाहेतीर्थगमनेएकनगरपामयोश्वप्रतिशुक्रदोषोन // तिपूज DAORGRORORos For Private and Personal Use Only

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