Book Title: Sanskar Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir नप्रतिवचने॥ अत्राःपांतु // सुप्रोक्षितमस्तु // गंधाःपांतु // सौमंगन्तःपुनरु ? // अक्षताःपांत // आयुष्यमस्त // पुष्पंपातुसौश्रियमस्तु॥यत्पापंरो॥ // अथ ल्याणंतहूरेप्रतिहतमस्तु / इत्यंजल्युपरिउदकंभ्रामयित्वोदीन्नयोगस्त्रिविधः॥ मू / यजमानः // भोब्राह्मणाःममगृहेषमुषटसुमासेषुशोभनतिकानागेतत्रजाताविषांग / नानीत्याचार्यः // इतित्रिरुका // कृतमेतद्विवाह दिसाम्यमपियोगेस्मिन्संजा ? तुभ्यमहसंप्रददेइतियजमानहस्तेसाक्षतजगसुतर्किर्नवमेकुजः // विषाख्यासापि, रेत // यजमान म्यवेतिपनिर // तद्दोषपरिहारोपायः॥ सावित्र्यादिवतंकार लनकत्वात अश्वत्थादिभिरुद्वाह्यादद्यात्तांचिरजीविनेइति // // अन्य। च // बालवधव्ययोगेतुकुंभद्रुप्रतिमादिभिः॥कृत्वालग्नंततःपश्चात्कन्योहाह्येतिचाप हारे // // कुंभःप्रसिद्धः // द्रुप्रतिमेतिस्वर्णमयाश्वत्थद्रुमप्रतिमा // तैःसहअनूढाक | Post For Private and Personal Use Only

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