Book Title: Sanskar Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HOOOOO4. 2000कन्छन् नप्रतिवचने॥ अत्राःपांतु // सुप्रोक्षितमस्तु // गंधाःपातु // सौमंग पचास्तु // अक्षताःपांतु // आयुष्यमस्तु // पुष्पंपातुसौश्रियमस्तु॥यत्पापरो अशुममा लाल्याणतहूरेप्रतिहतमस्तु // इत्यंजल्युपरिउदकंभ्रामयित्वोदीनानापचत् // तता। यजमानः // भोब्राह्मणाःममगृहेषमुषट्सुमासेषुशोभननिभवतात्रुवतु ॥सतुशाभा नानात्याचार्यः // इतित्रिरुका // कृतमेतहिवाशनाणेआचार्यत्वंतदुत्पन्नं श्रेयस्त तुभ्यमहसंप्रददेइतियजमानहस्तेसाक्षतजमाफलहयंप्रक्षिप्यप्रतिगृह्यतामितिवा रेत् // यजमानोदेवस्यत्वेतिप्रति हााते // ततोवस्त्रालंकारादिभिर्यथाविभवमा ननंकत्वातम्याक्षणांदत्वाऽन्येभ्योब्राह्मणेभ्योभूयसींदक्षिणांदत्वातैरा : शिषोगृहीत्वा // यस्यस्मृत्यतिकर्मसंपूर्णतांवाचयित्वा // ब्राह्मणानभोजयित्वा al // सुहृद्भिःसहयजमानोभुजीतेतिदेवकोत्थापनं // इतिप्तंस्कारभास्करेविवाहसं॥ A For Private and Personal Use Only

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