Book Title: Sanskar Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit POCA00000 रागमः // // विवाहेभार्ययासहभोजनमाहांगिराः // ब्राह्मण्यासयोश्नी / यादृच्छिष्टंवाकदाचन // तत्रदोषंनमन्यतेसर्वएवमनीषिणः // 1 // एकपात्र / समश्नीयाद्विवाहेपुवधूवरौ // तत्रदोषनमन्यतेआचारभ्रेषनैवति // सग्रह. एकासनंचैकशय्यांएकपात्रेचभोजनं // एकत्रमंगलस्नान कवाहनराहण // कुवन्। द्वाविवाहेएतानिभवेद्विप्रोनदोषभागिति // अथाभासयकश्राद्धोत्तरदेवकोत्थापनप। प्रयतनिषिद्धकर्माणि // गायः // नांदीश्राटेतपश्चाद्यावन्मातृविसर्जनं // दर्शश्रा पक्षयश्राद्धंस्नानंशीतोदकेनच // सव्यस्वधाकारंनित्यश्राद्धंतथैवच // ब्रह्मया | “ययनंनदीसीमांकन // उपवासव्रतंचैवश्राद्धभोजनमेवच // नैवकुयुःसाहा 18, पिंडाश्चमडपाहासनावधि // 1 // त्रिपुरुषसापिंडयपर्यंतं // अत्रनित्यश्राद्धनिषेधे / नतत्कार्यविहितपितृयज्ञनिषेधसिद्धिः // स्वधाकारग्रहणंतत्सहितवैश्वदेवनिषेधार्थ / 900A0ASARAGAROOPA00 For Private and Personal Use Only

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