Book Title: Sanskar Bhaskar
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार // 279 // ताप्रीत्यैहुनेदष्टाधिकायुतं // आहुतिंचरुणाज्येनप्रतिद्रव्योक्तसंख्यया॥ दुर्गानिवि | भास्कर. आष्णुमंत्रैश्चपुनःपुनरितीरितइति॥अथप्रयोगः ॥मुदिनेसुम्नातोयजमानआसनेउपवि स्यांववाहंकुयोतकालकीर्तनांतेमममृतभार्यत्वदोषनिरासद्वाराश्रीपरमे / पद्यमानत्वेसतिद्वितीयविवाहेऽधिकायुतसंख्ययाचर्वाज्यहवनंकरिष्ये॥ तत्रादौ / धिताधूर्तावंध्यार्थप्न्याप्रियंवदा // स्त्रीप्रसंआचार्यादिवरणंदिग्रक्षणपंचगव्यकर |धिवेदनेकालप्रतीक्षामाहमनुः // वंध्याष्टमेऽधिविष्णुदेवतानांस्थापनंचकरिष्ये / शेस्त्रीजननीसद्यस्त्वप्रियवादिनीति // // विवाहांतरेविजन्नाअग्नतवदवातआमा मार्थमन्यांलब्धंयइच्छति // समर्थस्तोषयित्वाथैःपूर्वोढामपानधानातकता। हल्ल्यः // आज्ञासंपादिनींदक्षांवीरसुप्रियवादिनीं // त्यजन्दायतृतीयाराम"२५ घाराज्यमा 6 // 279 // मारणंस्त्रियः // सधनोधनतृतीयांशमधनोशनाच्छादनात्मकभरणंचदद्यादि For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530