Book Title: Sanskar Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हार्वायनमम // ततःस्थालीपाकेनप्रजापतयइतिएकाहुतिः // ॐ प्रजापतयेम्ताहा॥ इदंप्र. // आसांपडाहुतीनांप्रणीतापात्रस्योत्तरतउदपात्रसंस्रवप्रासनं : स्विष्टक तोपिकेचिदिच्छंति // अन्यासामाहुतीनांप्रोक्षणीपात्रसंस्रवप्रासरं // ततःस्थाली / / हापाकेनस्विष्टकृतं // ॐ अग्नयेस्विष्टकृतेस्वाहाइदमनयस्विष्टकृतेनमम // ततआ ज्येनमहाव्याहृत्यादिप्रजापत्यंतानवाहुतयः // ततः प्रोक्षणीपात्रेयेसंस्रवास्ते षांपासनं // पवित्राभ्यांमार्जनादिप्रणीताविकातहोमशेषंसमाप्य // ततःप्रणी। नोत्तरस्थादुदपात्रादुदकंपल्लवेनादागाबूभूर्धन्यभिषिंचतिवरः॥ ॐयातेपतिनीप्रजा / माघ्रीगृहन्नीयशोघ्नीनिंदितातनूरिनीततऽएनांकरोमिसाजीर्यत्वंमयासहासौ ? // असास्थानमामादशः // अमुकीइत्यनेन // अथैनांवधूंस्थालीपाकंप्राशयतिवरः / / 121॥ॐ प्राणैस्तेप्राणान्त्सन्दधाम्यस्थिभिरस्थीनिमा सैर्मासानित्वचात्वचम् // For Private and Personal Use Only

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