Book Title: Sansar aur Samadhi Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 8
________________ प्रवेश से पूर्व घुटन भरी जिन्दगी में शान्ति की तलाश हमारी आवश्यकता है । ध्यान जीवन के अभिशप्त अन्धे गलियारों में रोशनी की चन्दन-सी बौछार है। इस सिलसिले में हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं - जीवन -सर्जक महोपाध्याय श्री चन्द्रप्रभसागर । श्री चन्द्रप्रभ चैतन्य के शिखर हैं । उनके वक्तव्य जीवन के लिए हैं, सम्बोधि और समाधि के लिए हैं । प्रस्तुत पुस्तक 'संसार और समाधि' उन्हीं के अमृत वचनों का संकलन है। श्री चन्द्रप्रभ ने संसार को अपनी दृष्टि से निहारा है और उसके रहस्यों को भरपूर उघाड़ा है । उनके अनुसार संसार अपने आप में पूर्ण है । हर प्रलय के बाद भी संसार अपने अस्तित्व में रहेगा । हमारे लिए वह संसार क्षणभंगुर, बन्धनकर और कष्टकर है, जिसका निर्माण स्वयं हमने/हमारे मन ने किया है । हमें चाहिये कि हम आरोपित प्रत्यारोपित संसार के प्रति जगें और कमल की पंखुड़ियों की तरह उससे ऊपर उठे। अतिक्रमण के परिवेश में जीने वालों को शान्ति और समाधि के लिए ध्यान में डूबना चाहिये । इससे न केवल जीवन का अनुशासन बनेगा, अपितु जीवन का आनन्द भी आत्मसात होगा । ध्यान हमारे वैयक्तिक जीवन में चैतन्य के फूल को समग्रता से खिला सकता है । चेतना का परम रूप से खिलना ही परमात्मा से साक्षात्कार है । श्री चन्द्रप्रभ के ऐसे विचार पुस्तक में खुलकर आएं हैं । चाहे इन्हें सुनो या पढ़ो; जीवन और विचारों में एक नई क्रान्ति मुखर हो उठती है । निश्चय ही श्री चन्द्रप्रभ ने जीवन को जीया है, उसे मथा है और वह स्वस्थ शैली अर्जित की है जिसकी आम आदमी को जरूरत है । आइये, हम प्रवेश करें उनके अमृत वचनों में, संसार से समाधि में । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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