Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 05
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 17
________________ 14 विषय गाथा २५-२६ जैन दर्शन में सर्वत्र पदार्थों में अनेकान्तवाद - गाथा २७ क्या अनेकान्त में भी अनेकान्त है अनेकान्त की अव्यापकता का भय निर्मूल गाथा २८ षड्जीवनिकाय और अहिंसाधर्म में भी अनेकान्त गाथा २९ गति परिणाम और अगति का अनेकान्त एकदिशा में गमन अन्य दिशा में अगमन सर्वथा एक नहीं है गाथा ३० निषेधरूप से द्रव्य भी अद्रव्य है - - गाथा - ३२ उत्पाद के विविध प्रकार गाथा ३१ भावमात्र में अनेकान्त की व्यापकता पर संदेह - समाधान वचनविशेष में प्रयत्न - अजन्यत्व की मीमांसा - Jain Educationa International ? हाँ । - - पृष्ठाङ्क विषय पृष्ठाङ्क ३० मिट्टीपिण्ड के पुनरुन्मज्जन की आपत्ति का उद्धार ४९ ३५ ३० गाथा ५० ३१ उत्पाद - विनाश-स्थितियों का काल से भेदाभेद विनाशोत्पाद के आधारभूत द्रव्य की ३२ ३३ त्रैकालिक स्थिति ३४ अर्थान्तर अनर्थान्तरत्व साधक अनुमान ३४ ३५ ३५ गाथा - ३४ विनाश के विविध प्रकारों का व्युत्पादन ३६ ३७ ३७ गाथा ३७ वर्त्तमान पर्याय की त्रैकालिकता कैसे ? गाथा ३८ गाथा ३९ ५८ विभागजन्य द्रव्योत्पाद का अस्वीकार ५८ ३८ । द्व्यणुक-त्र्यणुकनिष्पत्ति की प्रक्रिया ५९ ४० ६१ ६२ ४१ ६३ ३९ स्वभावपरिवर्त्तन से कार्यसाधकता, शंका-समाधान ६० संयोग को अतिशय मानने पर भी अनिस्तार ४० संयोग के अनुत्पन्न पक्ष में विकल्प प्रहार संयोगादिगुणाभिन्न परमाणु में कार्यत्व - जैन मत विभागजन्य अणुजन्म का समर्थन प्रागभाव-प्रध्वंस क्रमशः पूर्वोत्तर द्रव्यात्मक है ४२ परमाणु की अपरिवर्त्तनशीलता अघटित है परमाणुपर्यन्त द्रव्यनाशवार्त्ता असंगत ४१ ६५ ४२ ६६ ६७ ६७ ६७ 2 गाथा ३६ अर्थान्तर - अनर्थान्तरत्वसाधक अन्य दो अनुमान आकुंचन-प्रसारण का उदाहरण अतीत-अनागत-वर्त्तमान पर्यायों में कथंचिद् भेद ३८ गाथा ३३ स्वाभाविक उत्पाद के दो प्रकार गगनादि में सावयवत्व प्रसिद्धि संयोग की अव्याप्यवृत्तिता दुर्घट गगन निरवयव होने पर शब्द में व्यापकत्व का अनिष्ट ४३ गाथा - ४० संयोग की अव्याप्यवृत्तिता से गगन सावयवत्वसिद्धि ४३ घटादि में रूपपरावर्त्तन का उपपादन शब्दश्रवण से गगनसावयवत्व की सिद्धि ४४ गाथा ४१ ४४ एकद्रव्यनाश से अनेक का उत्पाद ४५ एककाल में एकद्रव्य के अनन्त पर्याय कैसे ? सभी समवायिकारण सावयव है व्याप्ति गगन में सविनाशित्व की सिद्धि से सावयवत्व आश्रयत्वधर्म के नाश से गगननाश - सिद्धि एकत्विक उत्पाद में भी अनेकान्त ४७ गाथा ४२ ४७ शरीर के दृष्टान्त से अनन्तपर्यायों के उत्पाद का निरूपण - - - - ५० ५२ ५२ ५३ ५३ ५३ ५४ ५५ ५५ ५७ For Personal and Private Use Only w w w w w 9 ६८ ६९ ६९ ६९ ७० ४८ ७० ४८ | शरीरोत्पत्ति के साथ सर्वद्रव्यसम्बन्धों का उत्पाद ७१ www.jainelibrary.org

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