Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.oAcharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [५] प्रणम्य पार्श्व सुखकारिपार्श्व शंखेश्वराख्यं जिनराजमुख्यम् । दुष्टाष्टकारिगणान् विजित्य यः सिद्धिसाम्राज्यसुखं प्रपेदे ॥ शंखेश्वरं प्रणिदधे प्रकटप्रभावं त्रैलोक्यभावनिवहावगमस्वभावम् । भावारिधारणहरिं हरिसेवनीयं । वामेयमीश्वरममेयमहोनिधानम् ॥ अनन्तविज्ञानमपास्तदोषं जिनेन्द्रमान्यं महनीयवाचम् । गृहं महिम्नां महसां निधानं शंखेश्वरं पार्श्वजिनं स्तवीमि॥ [८] जगत्प्रभावं कलितात्मभावं स्वच्छस्वभावं हतपापभावम् । देवेन्द्रवन्यं जगतां सुनन्द्यं शंखेश्वरं पार्श्वजिनं प्रवन्दे ॥ वन्दे श्रीशंखेश्वरपाचे संकल्पकल्पतरुकल्पम् । विश्राणितसुरतल्पं हविकल्पानल्पसअल्पम् ॥ . [१०] श्रियःसशंखेश्वरपार्श्वतीर्थकद्दधेऽथितार्थप्रथनान्मरुत्तरोः अचूचुरश्चैत्यमचर्च्य चारुतां सुमेरुशमस्य तदा तदासनम्।। For Private And Personal Use Only

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