Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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२०
गलत्प्रभावं कमठस्य कष्टं
व्यालस्य बाल्येऽपि कृतं हि येन । तं नित्यसेवाऽऽगतनागनाथं
- नमामि शड्वेश्वरपार्श्वनाथम् ॥ ३ ॥ मुखश्रिया निर्जितचारुचन्द्र
सद्भूषणाभूषितदिव्यदेहम् । प्रभावतीप्रेमरसैकनाथं
नमामि शंखेश्वरपार्श्वनाथम् ॥४॥ अनेकदेशाऽऽगतयात्रिकाणां
मनोऽभिलाषं ददसे समक्षम् । गम्भीरताहारितसिन्धुनाथं
नमामि शंखेश्वरपार्श्वनाथम् ॥५॥ कल्पद्रुचिन्तामणिमुख्यभावा
- इच्छाफलं देहभृतां फलन्ति । यन्नामतस्तं श्रितनाकिनार्थ
नमामि शंखेश्वरपार्श्वनाथम् ॥६॥ रोगा वियोगा रिपवो गरिष्टाः
शोकाग्नितोकादिभवाः प्रयान्ति । नाशं यतः शान्ततयोडुनाथं
नमामि शंखेश्वरपार्श्वनाथम् ॥ ७ ॥ भावप्रमेणाभिहितं यदेतत्
स्तुत्यष्टकं दुष्टविघातकारि । तत्त्वं सदाऽभिष्टदपार्श्वनाथं
'नमामि शंखेश्वरपार्श्वनाथम् ॥८॥
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