Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.oAcharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[७] श्रीशङ्केश्वरपार्श्वजिनस्तवः यदीयपादाम्बुरुहि प्रसक्ता
भवन्ति ते पूरितकामिताशाः । सुधाशनस्सेवितपादपाव
नवीमि तं शङ्खपुरीशपाश्वम् ॥ १॥ सुमालनीलोत्पलशालिदेह
विशालसौभाग्यगुणैकगेहम् । कुवादिवल्लीनिकरैकपर्श
नवीमि तं शङ्खपुरीशपार्श्वम् ॥२॥ मनोज्ञकैवल्यकृतानुरागं
विनिद्रपुष्पोच्चयपूजिताङ्गम् । अनेकशान्तादिगुणाधिवासं
नवीमि तं शङ्खपुरीशपार्श्वम् ॥३॥ यदीयभालेन विनिर्जितेन्दु
विहायसि भ्राम्यति लज्जितः सन् । कुवादिसारङ्गसुरज्जुपाशं
नवीमि तं शङ्खपुरीशपाम् ॥४॥ इत्थं स्तुतो जिनवरो भवकर्मवेदी
पीयूषपायिपतिभिः कृतपूजिताङ्गः । शङ्खापत्तननिवासनिवासरागी
सौख्याय मे भवतु सन्जयसारशाली ॥५॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118