Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 88
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.oAcharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सणो साहिबीया, हो राज, काइ अजब बनि, थां स्युं आसकी, सुणो, साहिबीया, हो राज, काई नवल बण्यो, थां सुं नेह जी (१) जीयांरि जिणसुं बनीजी, तीयांरे दिल तेह । आखिं न जोडि उरस्युंजी, ज्युं न गमि जवासांने मेह ॥ सु० (२) चकोरां चंदो रूचिंजी, चकवि चाहे दीह । त्युं थे म्हाने बाल्हा हाजी, .. कांई, लाल, लोपां नही लीह ॥ सु० (३) रागी म्हें छां, राउलाजी, दासांरा छां दाल । दिल मेली म्हांसुं मिलोजी, __ कांई प्रभु थे, शंखेसर पास ॥ सु० (४) दरसण थोरो देखतांजी, उदयरतन कहें आज । कोडि फली मन कामनांजी, सखर पायो सा सुष साज. ॥ सु० (५) For Private And Personal Use Only

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