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सणो साहिबीया, हो राज,
काइ अजब बनि, थां स्युं आसकी, सुणो, साहिबीया, हो राज,
काई नवल बण्यो, थां सुं नेह जी (१) जीयांरि जिणसुं बनीजी,
तीयांरे दिल तेह । आखिं न जोडि उरस्युंजी,
ज्युं न गमि जवासांने मेह ॥ सु० (२) चकोरां चंदो रूचिंजी,
चकवि चाहे दीह । त्युं थे म्हाने बाल्हा हाजी, ..
कांई, लाल, लोपां नही लीह ॥ सु० (३) रागी म्हें छां, राउलाजी,
दासांरा छां दाल । दिल मेली म्हांसुं मिलोजी,
__ कांई प्रभु थे, शंखेसर पास ॥ सु० (४) दरसण थोरो देखतांजी,
उदयरतन कहें आज । कोडि फली मन कामनांजी,
सखर पायो सा सुष साज. ॥ सु० (५)
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