Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 93
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.oAcharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुमज सुनेगा दिलकी बातां रे । तारोगा नाथ खरोर ॥ पास० [४] तुमज आतम आनंद दाता रे । ध्यान्ता हुँ तुमरा किसोर ॥ पास० [५] [५१] श्रीविजयानंदरि(आत्मारामजी) म० रचित श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन ( राग-कलिंगडानी ठुमरी ) तोरी छबी मनोहारी शंखेश धाम, नीलांबुजवत तोरे नयन श्याम, तोरी छवो० [आंकणी] चंद्र जू बदन जगत तुम भाले । कलमल पंक पखारे नाम ॥ तोरी० [१] नोल वरण तनु भवि मन मोहे । सोहे त्रिभुवन करुणाधाम ॥ तोरी० [२] पारस पारससम करे जनको ।। हाटक करनन तुमरो काम ॥ तोरी० [३] अजर अखंडित मंडित निज गुन । ईश निरंजन पूरे काम ॥ तोरी० [४] अनघ अमल अज चिघनराशि । आनंदघन प्रभु आतमराम ॥ तोरी० [५] For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118