Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.agcharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શંખેશ્વર સ્તવનાવલી પ્રભુ સન્મુખ ગાવાયેગ્ય સ્તુતિપદ્યો [१] श्रीमद्गुर्जरदेशभूषणमणिं सर्वक्षताधारकं मिथ्याज्ञानतम पलायनविधावुद्यत्प्रभं तापिनम् । पार्श्वस्थायुकपार्श्वयक्षपतिना संसेव्यपार्श्वद्वयं श्रीसंखेश्वरपार्श्वनाथमहमानन्देन वन्दे सदा ॥ [२] ऐन्द्रश्रेणिनतावतंसनिकरभ्राजिष्णुमुक्ताफलज्योतिर्जालसदाळवाललहरीलीलायितं पावितम् । यत्पादाद्भुतपारिजातयुगलं भाति प्रभाभ्राजितं श्रीशंखेश्वरपायानाथजिनपं श्रेयस्करं संस्तुवे ॥ [३] श्रीपाच तीर्थनाथं प्रशमरसमयं केवलानन्दयुक्तं वामेयं पार्श्वयः सुरवरसहितैः सेवितं भूरिभक्त्या। यस्य स्नात्राभिषेकपृथुतरकमलैर्निर्जरा यादवाः स्युः ख्यातं शंखेश्वरं तं त्रिभुवनविहितख्यातकीर्तिं नमामि ।। [४] जयति नमदनेकाखण्डलश्रेणिमौलि प्रकटमणिमयूखोद्योतिपादारविन्दः । भुवनविदितनामा ध्येयशंखेश्वरोऽयं दुरितहरणपार्श्वः पार्श्वनाथः प्रसिद्धः॥ For Private And Personal Use Only

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