Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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૧૫
नमस्ते विभो! सर्वविद्यामयाय
नमस्ते लसल्लब्धिलीलायुताय । नमस्तेऽसमभ्रेष्ठदेवेश्वराय
नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते ॥ ९॥ जय त्वं जगश्त्रपीयूषपात्र !
जय त्वं सुधांशुप्रभागौरगात्र ! । जय त्वं सन मन्मनःस्थायिमुद्र !
जय त्वं जय त्वं जय त्वं जिनेन्द्र ! ॥१०॥ इत्थं स्वल्पधियाऽपि भक्तिजनितोत्साहान्मया संस्तुतः श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथ! नतसद्भक्तैकचिन्तामणे!। सर्वोत्कृष्टपदप्रदानरसिकं सर्वार्थसंसाधकं तन्मे देहि निजाघ्रिपद्मविमलश्रीहंसरत्नायितम् ॥११॥
[३] संभवतः श्रीयशोविजयोपाध्यायविरचित
श्रीशङ्केश्वरपार्श्वजिनस्तवनम् । ऐकारस्मृतिसावधानमनसा स्तोतु प्रवर्ते महा, मोहापोहपरायणं जनमनोऽभीष्टार्थसार्थप्रदम् । श्रीशलेश्वरभूषणं भगवतामग्रेसरं वासवश्रेणीवेणिमिलत्प्रसूनपटलीमाध्वीकधौतक्रमम् ॥१॥
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