Book Title: Sankheshwar Stavanavali
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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૧૩
प्रभूतरोगेण विनदेह
आराध्य यं दुर्जनशल्यदेवः ।
चकार देहं मदनस्य तुल्यं
वन्दे सदा शङ्खपुरावतंसम् ॥ ८ ॥
राज्यार्थिनां राज्यसुखप्रदाता
सुतार्थिनां सन्ततिदायको यः । नेत्रार्थिनां लोचनदोऽसि नित्यं
वन्दे सदा शङ्खपुरावतंसम् ॥ ९ ॥ इति स्तुतः श्रीमुनिचन्द्रसूरिणा
कृपाकरः शङ्खपुरावतार ! | प्रबन्धकादौ प्रणतासुभाज
प्रयच्छ नित्यं निजपादसेवाम् ॥ १० ॥
[२] श्रीहंसरत्नविरचितं श्रीशंखेश्वरनाथस्तोत्रम् |
महानन्दलक्ष्मी घनाश्लेषसक्त !
सदा भक्तवाञ्छाविदानाभियुक्त ! | सुरेन्द्रादिसम्पल्लतावारिवाह !
प्रभो ! पार्श्वनाथाय नित्यं नमस्ते ॥ १ ॥ नमस्ते लसत्केवलज्ञानधारिन् !
नमस्ते महामोहसंहारकारिन् ! | नमस्ते सदानन्दचैतन्यमूर्त्ते !
नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते ॥ २ ॥
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