Book Title: Sangit Ratnakar Part 04 Kalanidhi Sudhakara
Author(s): Sarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
Publisher: Adyar Library
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श्लोकार्धानामनुक्रमणिका
पुटसंख्या
३६४ २९८ २८७ २८१
२६९
२७० १४४
२७३
२५९
२७३
अपि ब्रह्मपरानन्द. अपि संघट्टिता खुत्ता अपूर्वप्रतिभानं स्यात् अपेत्योपस्जेद्वाम अप्ररूढवचःप्रोके आभाषणादमर्षाच्च अभिघातात्तथोन्मादः अभिघातान्तरोद्भूते अभिलापस्ततश्चिन्ता अभिनेयवशादेषां अभ्यन्तरेऽऽरन्यस्य अभ्यन्यनहुं वलिता अभ्यस्तादन्य एवाति. अभ्यासांस्त्रिषु वाम्छन्ति अभ्येत्यायेत्थमन्या अमलमपि ब्रूते अमन्दरसनिष्यन्दि. अमर्षप्रातिकूल्येा . अमर्षे चाभिलाषा अयं मृदुनि निःसारे अयं हि विप्रलम्भादौ अयमाचमने कार्य: अयुक्तविषया तृष्णा अरालः प्रोन्नतापोऽन्यः अरालखटकौ हस्तौ अरालमुष्टिशिखर. अरालस्य यदात्यन्त. अरालाङ्गुष्ठतर्जन्यौ भरालौ कटिपार्श्वस्थौ
पुटसंख्या
५ अर्चयित्वा शुमे लमे २८१ अर्धचन्द्रः करो नाटये ४५८ अर्धव्यश्री यदा पादौ २३७ अर्धमण्डलिका तिर्यक २०४ अर्धमत्तल्लिकरणं ४६१ अर्धरेचितकार्य ४६. अर्धव्याकोशिते किंचित् ४६४ अर्धसूचि ततो दण्ड. ४१५ अर्धसूच्यथ विक्षिप्त
२६ अर्धस्वस्तिकसंज्ञं च २८६ अलकस्यापनयने २८९ अलकोत्पीडने मुष्टिः ३६३ अलतकादिना पाद. २६२ अलतकादिनिष्पेषे २३२ अलगं करणं कृत्वा ४०२ अलगं त्रीणि कूर्मोल. ३९३ अलपद्मः शिरोदेशे ४५३ अलपमः स एव स्यात ३२६ अलपमकरं न्यस्येत्
४६ अलपद्माकृतिं कृत्वा.. ४६१ अलपद्मावुल्बणौ च ___४७ अलपद्मौ कटीपार्श्व. ४४२ अलपद्मौ निकुटयेते
६२ अलातं ललितं चेति २३८ अलातकः परावृत्ताः २५ अलातां विदधचारी ४१ अलाताघ्रौ पृष्ठगते ५. अलातो वामचरणः ८१ अल्पो हस्तप्रचारः स्यात्
२४० २२७
२३७
२१६
३४८
२५६ २३९ ३१० ३५५
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