Book Title: Sangit Ratnakar Part 04 Kalanidhi Sudhakara
Author(s): Sarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
Publisher: Adyar Library
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श्लोकार्धानामनुक्रमणिका
४८५
पुटसंख्या
३४२ ३१२ १५८
१६३
A
पुटसंख्या उन्मादव्याध्यपस्मार.
४१० उल्लसद्गीतनृत्ताव्या उन्मादादिदशां चाति.
उल्लोल: स्याच्चरणयोः उन्मुखेक्षणमित्यादि.
४४६ उल्लोकितं तदूर्ध्वस्थ. उन्मेषितौ तु विश्लेषात् १५४ उल्लोलितालोकिते च उपधाय भुजामेकां
३३९ उष्णो दीक़ सशन्दौ च उपनीता: कविवरः
४०७ उपर्युत्तनितोऽर्धेन्दौ
३६ उपर्युपरि विन्यस्तो
५८ ऊरुं ताडयति प्रोता उपलक्षणमेतत्तु
४१८ ऊरुद्वयं च हस्तानां उपवक्षस्थलं हंस.
७२ ऊरुद्वयस्य, वलनं उपविष्टस्थानकानि
३१९ ऊपृष्ठस्थितेका ः उपमृत्यापसतां
२८५ ऊरवेणी तलोद्त्ता उपाङ्गानि द्वादशेति
१६ ऊरुस्थस्वस्तिकाकारी उपाध्यायं नृतकन्या:
३६४ ऊरू जड़े षडित्याहुः उपायान्वेषणं चित्त.
४५५ ऊद्वृत्तं च करणम् उपेतं करणैरल्पैः
१४ ऊरूदत्तं तदायां उरः पार्श्वन विन्यस्य
३१२ ऊरूद्वत्तमथाक्षिप्त उर: समुन्नतं सन्नं
३२१ ऊरूदत्ता तदा चारी उरो यत्र तदन्वर्थ.
२२५ ऊरूद्धृत्तेत्यथ ब्रूमः उरोमण्डलकं छिन्नं
२६६ ऊरूद्धृतोऽहितवारी उरोमण्डलकं यत्र
२६९ ऊरू यत्र निषण्णौ तत् उरोमण्डलकादूर्व
२७० ऊरू विस्तारितौ बाहू उरोमण्डलमावर्त
१९२ ऊर्णनाभः स चौर्येण उरोमण्डलसंज्ञ च २६१, २६३, २६४, ऊर्णनाभश्व संदंशः
____२६८, २७३ ऊर्व गच्छन् कटिक्षेत्रात् उरोमण्डलिनावे
३१ अर्व गच्छन्नुच्छितेषु उरोमण्डलिनौ स्याताम्
२७ ऊर्ध्व तादृक्परावृत्या उरोवर्तनिकात्वेन
__ ७५ ऊर्व नीतोद्वाहिता स्यात् उल्लसत्कान्तिवलये
३६९ ऊर्ध्व पार्श्वेऽप्रतो वा स्यात्
१९० २८८ २४२ २८. ३०२
१६ २६२, २६७
२३८ २५९ २८९
३५० ३२३
३३०
१२९
५३
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