Book Title: Sangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Author(s): Sarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
Publisher: Adyar Library

View full book text
Previous | Next

Page 361
________________ (२१) १०७] अनुबन्धः ३१९ मधनिरिप, धमनिरिप, मनिधरिप, निमधरिप, धनिमरिप, निधमरिप, रिपधनिम, परिधनिम, रिधपनिम, धरिपनिम, पधरिनिम, धपरिनिम, रिपनिधम, परिनिधम,8° रिनिपधम, निरिपधम, पनिरिधम, निपरिधम, रिधनिपम, धरिनिपम, गिनिधपम, निरिधपम, धनिरिपम, निधरिपम, पधनिरिम, धपनिरिम, पनिधरिम, निपधग्मि, धनिपग्मि, निधपरिम, मपधनिरि, पमधनिरि, मधपनिरि, धमपनिरि,10° पधमनिरि, धपमनिरि, मपनिधरि, पमनिधरि, मनिपधरि, निमपधरि, पनिमधरि, निपमधरि, मधनिपरि, धमनिपरि,1° मनिधपरि, निमधपरि, धनिमपरि, निधमपरि, पधनिमरि, धपनिमरि, पनिधमरि, निपधमरि, धनिपमरि, निधपमरि.१० (२१) गमपधनि, मगपधनि, गपमधनि, पगमधनि, मपगधनि, पमगधनि, गमधपनि, मगधपनि, गधमपनि, धगमपनि, मधगपनि, धमगपनि, गपधमनि, पगधमनि, गधपमनि, धगपमनि, पधगमनि, धपगमनि, मपधगनि, पमधगनि, मधपगनि, धमपगनि, पधमगनि, धपमगनि, गमपनिध, मगपनिध, गपमनिध, पगमनिध, मपगनिध, पमगनिध, गमनिपध, मगनिपध, गनिमपध, निगमपध, मनिगपध, निमगपध, गपनिमध, पगनिमध, गनिपमध, निगपमध,° पनिगमध, निपगमध, मपनिगध, पमनिगध, मनिपगध, निमपगध, पनिमगध, निपमगध, गमधनिप, मगधनिप, गधमनिप, धगमनिप, मधगनिप, धमगनिप, गमनिधप, मगनिधप, गनिमधप, निगमधप, मनिगधप, निमगधप,०० गधनिमप, धगनिमप, गनिधमप, निगधमप, धनिगमप, निधगमप, मधनिगप, धमनिगप, मनिधगप, निमधगप, धनिमगप, निधमगप, गपधनिम, पगधनिम, गधपनिम, धगपनिम, पधगनिम, धपगनिम, गपनिधम, पगनिधम,8° गनिपधम, निगपधम, पनिगधम, निपगधम, गधनिपम, धगनिपम, गनिधपम, निगधपम, धनिगपम, निधगपम,°° पधनिगम, धपनिगम, पनिधगम, निपधगम, धनिपगम, निधपगम, मपधनिग, पमधनिग, मधपनिग, धमपनिग,०° पधमनिग, धपमनिग, मपनिधग, पमनिधग, मनिपधग, निमपधग, पनिमधग, Scanned by Gitarth Ganga Research Institute

Loading...

Page Navigation
1 ... 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458