Book Title: Rajvinod Mahakavyam Author(s): Udayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय वक्तव्य प्रस्तुत "राजविनोद " काव्य की रचना कवि उदयराज द्वारा अहमदाबाद के सुप्रसिद्ध सुलतान महमूद बेगड़ा के यशोवर्णन के रूप में हुई है। महमूद बेगड़ा गुजरात का एक महाप्रतापी, शूरवीर और कर्त्तव्यपरायण नरेश हो गया है, जिसका वर्णन सम्बन्धित इतिहासों में विस्तार से मिलता है। उदयराज महमूद बेगड़ा का आश्रित एक संस्कृत कवि था। तत्प्रणीत “राजविनोद " द्वारा मध्यकालीन भारतीय इतिहास के कई नवीन तथ्यों पर प्रकाश पड़ता है तथा राजस्थान की तात्कालिक स्थिति आदि के विषय में भी कितनी ही सूचनाएं प्राप्त होती हैं। सर्व प्रथम डाक्टर बूलर ने सन् १८७५ ई० में बम्बई सरकार के लिये "राजविनोद " की प्रति प्राप्त कर इसका महत्त्व प्रदर्शित किया था। तब से इसके प्रकाशन की आवश्यकता बनी हुई थी। भाण्डारकर रिसर्च इंस्टीट्य ट, पूना में हमारा जाना हुआ तो वहां पर सुरक्षित बम्बई सरकार के ग्रन्थ-संग्रह से "राजविनोद " की प्रति प्रकाशन के लिये हम अपने साथ ले आए । राजस्थान सरकार द्वारा जयपुर में " राजस्थान पुरातत्त्व मन्दिर" की स्थापना होने पर श्री गोपालनारायण जी बहुरा हमारे सम्पर्क में आये और हमने इनकी साहित्यिक रुचि देख कर " राजविनोद " के सम्पादन का कार्य इनको सौंप दिया। इन्होंने प्रास्ताविक परिचय के साथ-साथ ऐतिहासिक ग्रन्थों के आधार पर महमूद बेगड़ा का वंश-परिचय तथा डा० एच० डी० सांकलिया के दोहाद के शिलालेख का अनुवाद और अनुक्रमणिका आदि से इसे समन्वित करके पुस्तक की उपयोगिता को संवर्धित कर दिया है। _ "राजस्थान पुरातन ग्रन्थ माला" के ८ वें पुष्प के रूप में प्रस्तुत रचना को प्रकाशित करते हुए हमें परम प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इति । जयपुर, ज्येष्ठ कृष्णा ७ मुनि जिनविजय सम्मान्य संचालक राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मंदिर, जय पुर वि० सं० २०१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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