Book Title: Rajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Author(s): Harinarayan Aapte
Publisher: Anandashram Mudranalay

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Page 561
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्णानुक्रमणिका । मुस्तम्--मुस्ता मूलपुष्करम्-मूलम् मुस्ता १५ मूलपोती ३५३,४२२ मुस्ता ४२७ मूलफलदः-पनसः मुस्ता-उच्चटा मूलम् १९,८४,३२५ मुस्ता-भूतः मलम् ४२९ मुहूर्तकम् ---विघटिकादयः मूलम्-गृजरम् मूलम्-पद्ममूलम् मूढता-तमोगुणः मूलम्-विषभेदः मूढि:--तृष्णादयः मला--अवनी मूत्रकृच्छम्-कृच्छ्रम् मूलाहवम्-मूलकम् मूत्रदशकम् ४२० मूषकद्वेषी-बिडाल: मूत्रदोषः-प्रमेहः मषकनामकर्णी-आखुकर्णी मूत्रपञ्चकम् ४२० मूषकमारी-सुतश्रेणी मूत्रफला-कर्कटी मूषक: २७४ मृत्रफला-पुसकम् मूषकः ४३० मूत्ररोधः ४०९ मूषकः-बिलेशयाः मूत्रला-कर्कटी मूषकः-मुष्ककः मूत्रम् २८२ मूषकाह्वादिका-द्रवन्ती मूत्राशयः ३९८ मूषिक:—मूषकः मूत्राष्टकम् ३०८ मषिका-दीर्घतुण्डी मूर्छा-तृष्णादयः मृषिकावया-~~-द्रवन्ती मूर्तिः--शरीरम् मूषिकाहया–सुतश्रेणी मूर्धजा:-केशः मूर्धा-शिरः मृक्षणम्-तैलम् मूळ ९ मृगगामिनी-विडङ्गा मूवा ४३२,४३५,४३६,४३७, मृगचर्मजम्---जवादि ४३७,४३७,४४० मृगचिभिंटा-मृगाक्षी मूर्वा तेजिनी मृगधर्तकः–तरक्षुः मूलकपर्णी-शिग्रुः मृगधर्तकः---भल्लूकः मूलकम् १४० मृगधर्तः-शृगाल: मूलकम् ४२५ मृगनाभिजम् ४३० मूलकम्-उशीरम् मृगनाभिजा-मार्जारी मूलकम्-गृञ्जनम् मृगनाभिः-कस्तूरिका मूलकम्-गृञ्जरम् मृगनाभि:-कस्तूरी मूलकः-चाणका मृगपतिः---सिंहः मूलकाह्वया-द्रवन्ती मृगप्रियम्-तृणाव्यम् मूलग्रन्थिः -दूर्वा मृगभक्षः-तरक्षः मूलजम्-आर्द्रकम् मृगभक्षा-मांसी मूलजिह्वा-उपजिह्वा मृगमदः--कस्तूरिका मृगमांसगुणाः ३९१ मृगरसा-महाबला मृगराजः--सिंहः मृगरिपुः-सिंहः मृगशीर्षः-खदिरः मृगः २७० मृगः-खदिरः मृगः-हस्ती मृगाक्षी ४२ मृगाक्षी ४२६,४२६ मृगाक्षी-श्वेतपुष्पी मृगाण्डजा-कस्तूरिका मृगादनी ४२९,४३१ मृगादनी-ऐन्द्री मृगादनी-महाबला मृगादनी---मृगाक्षी मृगादनी-श्वेतपुष्पी मृगादः–तरक्षः मृगान्तकः-शरभः मृगा-महाबला मृगारि:-रक्तशिग्रुः मृगेक्षणा-मृगाक्षी मृगेन्द्र:-सिंहः मृगेन्द्राणी-वासकः मृगेर्वार:--मृगाक्षी मृगेर्वारु:-श्वेतपुष्पी मृगेष्ट:- मुद्गरः मृणालकम्-बिसम् मृणालम्-उशीरम् मृणालम्-बिसम् मृणाल: ४३६ मृणालिका—बिसम् मृणालिनी-बिसम् मृणाली-बिसम् मृतजीवी-तिलकः मृतसंजीवनी-गोरक्षदुग्धी मृताजीवी-गोरक्षदुग्धी मृतालकम् -सौराष्ट्री मृतोद्रेकी-महानिम्बः For Private and Personal Use Only

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