Book Title: Rajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Author(s): Harinarayan Aapte
Publisher: Anandashram Mudranalay
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वमिः ४०९ वयस्थः — युवनामानि
वयस्था ५१
वयस्था ४२९, ४४०
वयस्था — काकोली
वयस्था -- क्षीरकाकोली
वयस्था--- गुडूची
वयस्था ब्राह्मी
वयस्था--- मध्यमा
वयस्था - हरीतकी
वरकः—प्रियङ्गुः
वरकः - वासन्ताः
वरटा - हंसः
वरणी - अरणी
वरतरुः -- भल्लातकः
वरतिक्तका - पाठा वरतिक्त:-कुटजः वरतिक्तः --- निम्बः वरतिक्तः—पर्पटः
वरतिक्ता-पाठा
वरत्वचः – किराततिक्तः वरदा – सुवर्चला
वरला - हंसः
वरवर्णिनी-स्त्री
वरवर्णिनी - हरिद्रा
वरम्— आर्द्रकम्
वरम् — कुङ्कुमम् वरम् त्वक् वरः-भर्ता
वरः -- लवणः
वरा - अवनी
वरा - काकमाची
वरा—गङ्गा
वरा - गुडूची वरा--गुड़ची
वराङ्गम् ४२८
वराङ्गम् — उपस्थम्
वराङ्गम् -- त्वक् वराङ्गम् — शिरः
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वर्णानुक्रमणिका
| वराङ्गी - अरणी वराङ्गी— हरिद्रा
|वराट: कपर्दिका वराटिका - कपर्दिका
वरा- पाठा
वरा- पाठा
वरा— ब्राह्मी वरा—मेदा
| वराम्ल : - बीजपूर्ण:
| वरारुहः - बिल्वः
| वरारोहघुघुरागः -- पारावतः वरारोहा—स्त्री
| वरा-वन्ध्यकर्कोटकी
वरा - विडङ्गा
वरा—सुरा वराहकन्दः – गृष्टिः
| वराहकर्णी - अश्वगन्धा
| वराहकः मत्स्यः
| वराहकः --- शिशुकः
| वराहपत्री - अश्वगन्धा
वरा— हरिद्रा वराहम् — हीरकम् वराहः ४३०
| वराहः – मुस्ता
वराहः — सूकरः वराहिका — अश्वगन्धा
वराहिका - कपिकच्छूः वराही ४३२, ४३३,४३९ वराही — गृष्टिः
| वराही - मुस्ता
वरिष्ठः -- नारङ्गः वरीयसी - शतावरी
वरी - शतावरी | वरुणम् - जीरकम्
वरुणः १९३
| वरुणात्मजा — सुरा
| वरेण्यम् — कुङ्कुमम् वरोहशाखी— लक्षः वर्चः -- भार्गी
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वर्ज्यविषाणि ३१४
वर्णदात्री -हरिद्रा
वर्णपुष्पी -उष्ट्रकाण्डी वर्णपूरक:- शालि : वर्णप्रसादनम् - काष्ठागरु | वर्णभेदिनी - प्रियङ्गुः
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| वर्णवती -हरिद्रा
| वर्णविलासिनी - हरिद्रा
| वर्णशाकाङ्क :---गौर सुवर्णम् वर्णार्हः - वासन्ताः वर्णिनी-हरिद्रा
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वर्ण्यपुष्पकः -- तरणी | वर्तकम् — वर्तलोहम् वर्तकः २९८
| वर्तका - विष्किराः
वर्तकी ४२६
| वर्ततीक्ष्णम्-वर्तलोहम्
| वर्तमानः — कालत्रयम्
वर्तलोहम् २११
| वर्तवर्तिकावर्तकः
| वर्तिकः वर्तकः
| वर्तिका - अजशृङ्गी
| वर्तिः वर्तकः
१२५
| वर्तिष्यमाणम् — कालत्रयम् | वतर:- विष्किरः
वर्तुलम् — टङ्कणः वर्तुलः – कलायः
वर्तुलः –—–—गुण्ठः | वर्तुली—श्रेयसी वर्तुलोहम्—वर्तलोहम्
| वर्त्स्यत् — कालत्रयम्
| वर्धमानः --- एरण्डः
| वर्धमाना — मधुकर्कटी वर्मकण्टकः-पर्पट: वर्य :- कपर्दिका
वर्याजनम् -- रसाञ्जनम् | वर्षकालः -- वर्षा :

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