Book Title: Rajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Author(s): Harinarayan Aapte
Publisher: Anandashram Mudranalay
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वीरा - ब्राह्मी
वीराम्ल : --- अम्ल वीरा — सहस्रवीर्या
वीरा - सुरा
वीरास्यः – लताकरञ्जः वीरुतू - लता वीर्यवृद्धिकरम् — बृंहणादिनामानि
वीर्यम् - रत्नसामान्यम्
वीर्यम् — शुक्रम् ट.
वृकः— ईहामृगः
वृकः - गुहाशयाः
वृकारिः – कुकुरः वृकी-पाठा
वृकम् — लुता वृक्षकन्दा - विदारिका वृक्षकः - कुटजः
वृक्षधूपः ४२५ वृक्षधूप : — श्रीवेष्टक: वृक्षमर्कटिकः–पर्णमृगाः वृक्षमार्जारः - पर्णमृगाः
वृक्षरुहः ४३९
वृक्षरुहा ४३१
वृक्षरुहा— कृष्णपिपीलिका
वृक्षरुहा --जन्तुकारी वृक्षरुहा—वन्दका
वृक्षवान् पर्वतः
वृक्षवल्ली – विदारिका वृक्षः ३२५ वृक्ष:-- लोध्रः
वृक्षादनी—–वन्दका वृक्षाम्लम् ८९
वृक्षाम्लम् ४३६
वृक्षारुहाख्या -- अमृतस्रवा
वृक्षारुहा-वला
वृक्षाश्रयी — क्षुद्रोलूक:
वृत्तकर्कटी – षडभुजा वृत्तकोशः—जीमूतकः
वृत्तकोशा- जीमूतकः
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वर्णानुक्रमणिका ।
| वृत्तगुण:- गुण्ठः
वृत्तगुण्डः—गुण्ड: | वृत्ततण्डुल:- जूर्णा
| वृत्तनिष्पाविका — निष्पावी
|
वृत्तपत्रा - पुत्रदात्री वृत्तपत्रिका -- वृषमेधा वृत्तपर्णी - पाठा
वृत्तपुष्पकः ४२७
| वृत्तपुष्पकः--कदम्बः
| वृत्तपुष्पः---कदम्बः
| वृत्तपुष्पः कुब्जकः |वृत्तपुष्पः
मुद्गरः
| वृत्तपुष्प :- वानीर:
|वृत्तपुष्प:- शिरीषः
वृत्तपुष्पा - जम्बू: वृत्तपुष्पा - मल्लिका |वृत्तपुष्पा - मल्लिका | वृत्तफलम् - मरिचम्
| वृत्तफल:- दाडिम:
| वृत्तफल:- बदरम्
| वृत्तफल:- मांसलफलः
| वृत्तफला --- वयस्था
| वृत्तफला - वृन्ता की
| वृत्तबीजका - पाटली | वृत्तबीज: भेण्डा वृत्तबीज:- :-माषः
| वृत्तबीजा-- आढकी
| वृत्त मल्लिका ४३० वृत्तमल्लिका— मल्लिका
""
वृत्तमालिका - शुक्लार्क:
| वृत्तमूलक :— गृञ्जनम्
वृत्तम्— कालत्रयम्
वृत्तम्- स्तनाग्रम्
कच्छपः
वृत्तः
वृत्तः — गुण्ड:
वृत्तः — जूर्णा
"
वृत्ता--जम्बू : वृत्ता -- झिञ्झिरीटा
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| वृत्ता-धामार्गवः वृत्ता — निष्पावः वृत्ता—प्रियङ्गुः वृत्ता-मांसरोहिणी वृत्ता-रेणुका वृत्तेर्वारु:- षड्भुजा | वृत्सादनः — हामृगः
| वृथार्तवा - वन्ध्या
|वृद्धदारुकः १५५
| वृद्धनामानि ३९८
| वृद्धफल:
| वृद्धम् — शैलेयम्
| वृद्धः -- वृद्धदारुकः
वृद्ध : - वृद्धनामानि
करञ्ज:
वृद्धा ३९५ वृद्धिकरम् — शुक्रम् | वृद्धिकर्णिका पाठा वृद्धिदः दृष्टिः
| वृद्धिदः - जीवकः
| वृद्धिदात्री - ऋद्धिः
| वृद्धिबला – बला
वृद्धिः ४३० वृद्धिः — ऋद्धिः
वृद्धि: - रत्नानि
| वृन्तकः -- शालि:
| वृन्तमूलकम् ४३२
| वृन्तम् ३२६
| वृन्ताकम् ४२६,४२६,४३१ | वृन्ताकम् — वार्ताकी
| वृन्ताकः — शाकश्रेष्ठः वृन्ताकी २६ | वृन्ता - वृन्ताकी
| वृन्दारक:- शालि:
| वृश्चिकर्णी - आखुकर्णी
१३३
| वृश्चिक: ४२९,४३०
| वृश्चिकः -- तन्तुवायादयः
| वृश्चिकः पुनर्नवा
वृश्चिका ३४३ वृश्चिकाली ३६४

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