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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वीरा - ब्राह्मी वीराम्ल : --- अम्ल वीरा — सहस्रवीर्या वीरा - सुरा वीरास्यः – लताकरञ्जः वीरुतू - लता वीर्यवृद्धिकरम् — बृंहणादिनामानि वीर्यम् - रत्नसामान्यम् वीर्यम् — शुक्रम् ट. वृकः— ईहामृगः वृकः - गुहाशयाः वृकारिः – कुकुरः वृकी-पाठा वृकम् — लुता वृक्षकन्दा - विदारिका वृक्षकः - कुटजः वृक्षधूपः ४२५ वृक्षधूप : — श्रीवेष्टक: वृक्षमर्कटिकः–पर्णमृगाः वृक्षमार्जारः - पर्णमृगाः वृक्षरुहः ४३९ वृक्षरुहा ४३१ वृक्षरुहा— कृष्णपिपीलिका वृक्षरुहा --जन्तुकारी वृक्षरुहा—वन्दका वृक्षवान् पर्वतः वृक्षवल्ली – विदारिका वृक्षः ३२५ वृक्ष:-- लोध्रः वृक्षादनी—–वन्दका वृक्षाम्लम् ८९ वृक्षाम्लम् ४३६ वृक्षारुहाख्या -- अमृतस्रवा वृक्षारुहा-वला वृक्षाश्रयी — क्षुद्रोलूक: वृत्तकर्कटी – षडभुजा वृत्तकोशः—जीमूतकः वृत्तकोशा- जीमूतकः www.kobatirth.org वर्णानुक्रमणिका । | वृत्तगुण:- गुण्ठः वृत्तगुण्डः—गुण्ड: | वृत्ततण्डुल:- जूर्णा | वृत्तनिष्पाविका — निष्पावी | वृत्तपत्रा - पुत्रदात्री वृत्तपत्रिका -- वृषमेधा वृत्तपर्णी - पाठा वृत्तपुष्पकः ४२७ | वृत्तपुष्पकः--कदम्बः | वृत्तपुष्पः---कदम्बः | वृत्तपुष्पः कुब्जकः |वृत्तपुष्पः मुद्गरः | वृत्तपुष्प :- वानीर: |वृत्तपुष्प:- शिरीषः वृत्तपुष्पा - जम्बू: वृत्तपुष्पा - मल्लिका |वृत्तपुष्पा - मल्लिका | वृत्तफलम् - मरिचम् | वृत्तफल:- दाडिम: | वृत्तफल:- बदरम् | वृत्तफल:- मांसलफलः | वृत्तफला --- वयस्था | वृत्तफला - वृन्ता की | वृत्तबीजका - पाटली | वृत्तबीज: भेण्डा वृत्तबीज:- :-माषः | वृत्तबीजा-- आढकी | वृत्त मल्लिका ४३० वृत्तमल्लिका— मल्लिका "" वृत्तमालिका - शुक्लार्क: | वृत्तमूलक :— गृञ्जनम् वृत्तम्— कालत्रयम् वृत्तम्- स्तनाग्रम् कच्छपः वृत्तः वृत्तः — गुण्ड: वृत्तः — जूर्णा " वृत्ता--जम्बू : वृत्ता -- झिञ्झिरीटा For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | वृत्ता-धामार्गवः वृत्ता — निष्पावः वृत्ता—प्रियङ्गुः वृत्ता-मांसरोहिणी वृत्ता-रेणुका वृत्तेर्वारु:- षड्भुजा | वृत्सादनः — हामृगः | वृथार्तवा - वन्ध्या |वृद्धदारुकः १५५ | वृद्धनामानि ३९८ | वृद्धफल: | वृद्धम् — शैलेयम् | वृद्धः -- वृद्धदारुकः वृद्ध : - वृद्धनामानि करञ्ज: वृद्धा ३९५ वृद्धिकरम् — शुक्रम् | वृद्धिकर्णिका पाठा वृद्धिदः दृष्टिः | वृद्धिदः - जीवकः | वृद्धिदात्री - ऋद्धिः | वृद्धिबला – बला वृद्धिः ४३० वृद्धिः — ऋद्धिः वृद्धि: - रत्नानि | वृन्तकः -- शालि: | वृन्तमूलकम् ४३२ | वृन्तम् ३२६ | वृन्ताकम् ४२६,४२६,४३१ | वृन्ताकम् — वार्ताकी | वृन्ताकः — शाकश्रेष्ठः वृन्ताकी २६ | वृन्ता - वृन्ताकी | वृन्दारक:- शालि: | वृश्चिकर्णी - आखुकर्णी १३३ | वृश्चिक: ४२९,४३० | वृश्चिकः -- तन्तुवायादयः | वृश्चिकः पुनर्नवा वृश्चिका ३४३ वृश्चिकाली ३६४
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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