Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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( सताईस
भोज चरित तिन सौ को कवियण सुख पावे || व्यास भवानीदास कवित कर बात सुगावे | सुखी प्रबंध चारण मते भोजराज बीन कह्यो । कल्याणदास भूपाल को धर्म ध्वजा धारी को ।
३६ यशोधर चरित्र (३८२४)
महाराजा यथोवर के जीवन पर सभी माषाओं में अनेक काव्य लिखे गये हैं। हिन्दी में भी विभिन्न कवियों ने रचना करके इस कथा के लोकप्रियता में अभिवृद्धि की है। इन्हीं काव्यों में हिन्दी कवि देवेन्द्र कृत यशोधर चरित की है जिसकी पाण्डुलिपियां डूंगरपुर के शास्त्र मण्डार में उपलब्ध हुई है। काव्य काफी बड़ा है। इसका रचनाकाल संवत् १६८३ है । देवेन्द्र की संस्कृत एवं हिन्दी के अच्छे कवि थे । विक्रम एवं गंगाधर दो भाई थे जो जैन ब्राह्मण थे। गुजरात के कुत लुखां के दरबार में जैनधर्म की प्रतिष्ठा बढाने का श्रेय ० शांतिदास को था और उसी के प्रभाव के कारण विक्रम के माता पिता ने जैनधर्म स्वीकार किया या । इन्हीं के सुत देवेन्द्र में महुआ नगर में यशोर की रचना की थी ।
संवत १६ आठ श्रीसि यसो सुदी वीज शुक्रवार सो रास रच्यो नवरस भयो महुदा नगर मभार तो ।
कवि ने अपनी कृति को नवरस से परिपूर्ण कहा है।
३७ रत्नपाल प्रबन्ध (३८६८)
रत्नपाल प्रबन्ध हिन्दी की अच्छो कृति है जो ब्र० श्रोपती द्वारा रची गयी थी । इसका रचनाकाल सं०] १७३२ है । भाषा एवं शैली की दृष्टि से रचना उत्तम प्रबन्ध काव्य है तथा प्रकाशन योग्य है ।
३८ विक्रम चरित्र चौपई (२०३१)
भाउ कषि हिन्दी के लोकप्रिय कवि थे। उनको रविप्रतकथा हिन्दी की अत्यधिक लोकप्रिय रचना रही है । विक्रमचरित्र चौपई उनकी नवीन रचना है। जिसकी एक पाण्डुलिपि दबलाना के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है |रचना काल संवत् १५५८ है । इस रचना से भाउ कवि का समय भी निश्चित हो जाता है । कवि में रचना काल का उल्लेख निम्न प्रकार किया है
संवत् पनर श्रठा सिंह तिथि बलि तेरह हुति
मंगसिर मास जाण्पी रविवार जते हुति । चडी तर पसाउ सच प्रबन्ध प्रभारण । उबा भावे भरइ वातज भाषा या
३६ शांतिनाथ चरित्र भाषा (३६६५)
सेवाराम पाटी हिन्दी के अच्छे विद्वान् थे । शांतिनाथ चरित्र उनके द्वारा लिखा हुआ विशिष्ट काव्य है। कवि महापंडित टोडरमल के समकालीन विद्वान थे । उनको उन्होंने पूर्ण श्रादर के साथ उल्लेख किया