Book Title: Purusharthsiddhyupay
Author(s): Amrutchandracharya, Munnalal Randheliya Varni
Publisher: Swadhin Granthamala Sagar

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Page 4
________________ तलास मारम-निवेदन हो गई है, उनको शुद्धकर पृथक्से शुरुभडिपत्र दिया गया है, उससे मिलानकर पाठक शुख पढ़ेंगे । हम उक्त प्रेसकी अभिवृद्धि निरन्तर चाहेंगे व चाहते हैं। इस कार्य हमें येन केन प्रकारेण जिन २ मित्र बन्धुओंने सहायता दी है, उन सबका मैं हृदयसे आभार मानता है, उन्हें साधुवाद देता हूँ। अन्य अन्धोंकी सहायता हमने इस टीकाके लिखने में अनेक बड़े खोटे अन्योंकी सहायता ली है तथा उनके रखरण दिये है 1 असे कि (१) समयसार, (२) प्रवचनबार, ( ३ ) पंचास्तिकाय, ( ४ .नियमसार, (५) बटरवंटागम, (६) राजवातिक, (७) मर्थिसिद्धि, (८) आप्तमीमांसा, (९) अष्टपाहुड़, (१०) बालापपद्धलि, ११) जीवकांखगोम्मटसार, (१२) कर्मकांडगोम्मटसार, (१३) वृहत्स्वयंभूस्तोत्र, (१४) आत्मानुशासन, (१५) तत्वार्थसूत्र, ( १६ ) रत्नकरंडश्रावकाचार, ( १७ ) बृहदश्यसंग्रह, ( १८ ) युक्त्यनुशासन { १९ । समयसारकलश, (२०) अध्यात्मतरंगिणी, (२१) स्वरूपसंबोधन, (२२) छहहाला, । २३ ) मोक्षमार्गप्रा : २) • It::, हरिणतक, ( २६ } मानार्णवं इत्यादि । अतएव उन सबका भी मेरे ऊपर आभार है। तथा उनके कर्ताओंका तो परोक्ष आभार है ही, जिसे हम कदापि भूल नहीं सकते। ::: :: HB0BAR SABRANCHIDAILS लयात patanelievRELIAMAMTAainaSJMERNAMAARIHAASTwwwnाया SARAISE ।

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