Book Title: Purusharthsiddhyupay
Author(s): Amrutchandracharya, Munnalal Randheliya Varni
Publisher: Swadhin Granthamala Sagar
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________________ शुद्धाशुदपत्रं 467 विस्तार प्रायसिस भापा विस्तर प्रायशिलत्तादि तप 310 ग्वारिष 292 जिज्ञासा आमच मिनार से, 403 उत्पन्ना रतिः সিরা। ( दरूप विचार से) शुभ उपजना अरतिः सपथ आर्य इसी प्रकार 418 426 429 आच इस प्रकार मिटका अनेकी far अनुलम्बिगीतिः प्राश होगा अनेकी भिजवानो अनृपलनिवांत नाम न होगा . .. . . ... 7277 7 23-74 27 - 22224412

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