Book Title: Puratana Prabandha Sangraha
Author(s): Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 9
________________ प्रबन्धचिन्तामणि ग्रन्थकी प्रस्तुत आवृत्तिका संकलन । इस ग्रन्थका संकलन और प्रकाशन निम्न प्रकार, ५ भागोंमें, पूर्ण होगा। (१) प्रथम भाग. भिन्न भिन्न प्रतियोंके आधार पर संशोधित-विविध पाठान्तर समवेत-मूलग्रन्थ; १ परिशिष्ट; मूलग्रन्थ और परिशिष्टमें आये हुये संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषामय पद्योंकी अकारादिक्रमानुसार सूचि; पाठ संशोधनके लिये काममें लाई गईं पुरातन प्रतियोंका सचित्र वर्णन । (२) द्वितीय भाग. प्रबन्धचिन्तामणिगत प्रबन्धोंके साथ सम्बन्ध और समानता रखनेवाले अनेकानेक पुरातन प्रबन्धोंका __ संग्रह; पद्यानुक्रमसूचि; विशेष नामानुक्रम; संक्षिप्त प्रस्तावना और प्रबन्ध संग्रहोंकी मूल प्रतियोंका सचित्र परिचय। (३) तृतीय भाग. पहले और दूसरे भागका संपूर्ण हिंदी भाषान्तर । (४)चतुर्थ भाग, प्रबन्धचिन्तामणिवर्णित व्यक्तियोंके साथ सम्बन्ध रखनेवाले शिलालेख, ताम्रपत्र, पुस्तकप्रशस्ति आदि जितने समकालीन साधन और ऐति प्रमाण उपलब्ध होते हैं उनका एकत्र संग्रह और तत्परिचायक उपयुक्त विस्तृत विवेचन; प्राक्कालीन और पश्चात्कालीन अन्यान्य ग्रन्थों में उपलब्ध प्रमाणभूत प्रकरणों, उल्लेखों और अवतरणोंका संग्रह; कुछ शिलालेख, ताम्रपत्र और प्राचीन ताडपत्रोंके चित्र । (५) पञ्चम भाग, प्रबन्धचिन्तामणिग्रथित सब बातोंका विवेचन करनेवाली विस्तृत प्रस्तावना-जिसमें तत्कालीन ऐतिहासिक, भौगोलिक, सामाजिक, धार्मिक और राजकीय परिस्थितिका सविशेष ऊहापोह और सिंहावलोकन किया जायगा । अनेक प्राचीन मंदिर, मूर्तियां इत्यादिके चित्र भी दिये जायेंगे। THE SCHEME OF THE WORK OF PRABANDHACINTĀMAŅI [The work will be completed in five parts. ] Part I. A critical Edition of the original Text in Sanskrit with various readings based on the most reliable MSS.; An Appendix; An alphabetical Index of all Sanskrit, Prākrit and Apabhramba verses occurring in the text and the appendix; A short Introduction in Hindi describing the MSS. and materials used for the construction of the text along with plates. Part II. A collection of many old Prabandhas similar and analogous to the matter in the Prabandhacintāmaņi; Indices of the verses, and proper names; A short Introduction in Hindi describing the MSS. and materials used in preparing this Part, along with plates. Part III. A complete Hindi Translation of Parts I and II. Part IV. A collection of epigraphical records, viz. stone inscriptions, copper plates, colophons and Praśastis from the contemporary MSS.; all available historical data dealing with the Persons described or referred to in the Prabandhacintāmaņi along with a critical account in Hindi of the above, as also many plates. and A collection of authoritative referrences and quotations from other works. Part V. An elaborate general Introduction surveying the historical, geographical, social, political and religious conditions of that period; with plates. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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