Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar
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७८
प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः
(३८९) सिद्धचक्रयन्त्रम् ॥ संवत् १८५२ पोष सुदि ४ दिने बृहस्पतिवासरे। श्रीसिद्धचक्रयन्त्र -मिदं प्रतिष्ठितं। वा। लालचन्द्र गणिना। कारितं। सवाईजयनगरवास्तव्य। सेठ। वखतमल। तत्पुत्र सुखलालेन श्रेयोर्थं ॥ छ॥
(३९०) सिद्धचक्रयन्त्रम् ___ संवत् १८५२ पोष सुदि। ४ दिने। बृहस्पतिवासरे। श्रीसिद्धचक्रयन्त्रमिदं। प्रतिष्ठितं। सवाई जैनगरमध्ये वा। लालचन्द्रगणिना। बृहत्खरतरगच्छे। कारितं। बीकानेर वास्तव्य कोठारी जैठमल्लेन श्रेयोर्थं ॥ श्री॥
(३९१) सिद्धचक्रयन्त्रम् ॥ संवत् १८५२ वर्षे पोष सुदि ४ दिने सिद्धचक्रयन्त्रमिदं प्रतिष्ठितं। वा। लालचन्द्रगणिना कारिता सवाई जयनगरमध्ये समस्त श्रीसंघेन। बृहत्खरतरगच्छे। शुभमस्तु ॥
(३९२) सिद्धचक्रयन्त्रम् ॥ संवत् १८५२ पोष सुदि ४ दिने। बृहस्पतिवासरे। श्रीसिद्धचक्रयन्त्र -मिदं। प्रतिष्ठितं। वा। लालचन्द्र गणिना बृहत्खरतरगच्छे। कारितं सवाई जैनगरवास्तव्य। श्रीमाल। रतनचंद। टोडरमल्लेन। श्रेयोर्थम्॥ श्री श्री॥
(३९३) पार्श्वनाथ-पादुका ॥ संवत् १८५२ वर्षे माघ शुक्ल पञ्चम्यां गुरुवारे श्रीचिन्तामणि पार्श्वनाथ पादुकस्यापि कारितं पुण्यविजय उपदेशात् श्रीसंघेन कारापिता ॥ श्रीरस्तु॥
___(३९४) सिद्धचक्रयन्त्रम् संवत् १८५३ वर्षे वैशाख मासे। शुक्लपक्षे तिथौ। ४ श्रीसिद्धचक्रयन्त्र प्रतिष्ठितं। वा। लालचन्द्र गणिना। कारितं जेसलमेरुवास्तव्य। बोहरा गोत्रे । बाई। मङ्गली। सुश्राविकया। श्रेयोर्थं । शुभंभवतुः॥
३८९. जयपुर पञ्चायती मंदिर ३९०. जयपुर सुमतिनाथ मंदिर ३९१. जयपुर नया मंदिर ३९२. जयपुर मोहनबाड़ी ३९३. किसनगढ़ हीरविजयसूरि बगीची ३९४. जयपुर पञ्चायती मंदिर
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