Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

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Page 170
________________ १४५ प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः __ (७५२) जिनदत्तसूरि-पादुका सं० १६४४ वर्षे माघ सुदि ५ दिने सोमवासरे फलवर्द्धिनगर्यां श्रीजिनदत्तसूरीणां पादुका मन्त्री संग्रामपुत्रेण मन्त्री कर्मचन्द्रेण सपुत्र-परिवारेण श्रेयो) कारापितं। (७५३) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ ० ॥ ओम् सिद्धः संवत् १६५३ वर्षे वैशाखाद्य ५ दिने श्रीजिनकुशलसूरि सद्गुरुणां पादुके कारिते अमरसरवास्तव्य श्रीसंघेन प्रतिष्ठितं युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः चित्रः खण्डिका निष्पन्ना सा० थानसिंहोद्यमेन मूलस्थंभ प्रारंभकर्ता मंत्रि कर्मचन्द्रः श्रेयोर्थम्। (७५४) भित्तिलेख: अथ संवत्सरे श्री नु श्रीनर्पति विक्रमादीति राजे संवत् १६५३ वर्षे चैत्र सुदी १५ सुक्रत लिखत खेता गांगा कुवो वण । (७५५) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ सं० १६५६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि द्वादशी दिने शनिवारे श्रीसंग्रामपुरे श्रीमानसिंहविजयराज्ये खरतरगच्छे युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरिविजयराज्ये महामंत्रिणा करमचन्द्रेण श्रीसंघेनापि श्रीजिनकुशलसूरिपादुका कारिता प्रतिष्ठितं वाचनाचार्य श्रीयश:कुशलैश्च सर्वसंघस्य कल्याणाय भवतु शुभम्। __ (७५६) कनकसोम-पादुका संवत् १६६२ वर्षे चैत्र वदि ५ दिने सोमवारे श्रीखरतरगच्छे वाचनाचार्यवर्य श्री ५ श्रीकनकसोमगणीनां पादुके प्रतिष्ठितेयं युग० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः। ७५२. फलोदी (पोकरण) राणीसर दादाबाड़ी ७५३. अमरसर (जयपुर) दादावाड़ी ७५४. अमरसर (जयपुर) दादावाड़ी ७५५. सांगानेर दादावाड़ी ७५६. अमरसर (जयपुर) दादावाड़ी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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