Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar
View full book text
________________
१७१ -
प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः रागिलाचार्य रंगरूपसागर रत्नचन्द्र मुनि (गणि) रत्ननिधान उ० रत्नप्रभसूरि रत्नरंग गणि रत्नराज गणि रत्नविजय पं० रत्नविजयसूरि रत्नविशाल गणि रत्नसागर रत्नसागरसूरि
२९२ ५२३,५२६,५५५,५५७ २२८ ३८,५०,५५६,७११ ७४१ ४१९,४२० ७४१
३१६
२३५
रत्नसिंहसूरि रत्नसुंदर उ० रविप्रभसूरि रविश्री राजहर ऋषि राजेन्द्रविजय पं० रामचन्द्र गणि रामविजय पं० राजसुन्दर गणि रुघनाथसागर रूपचन्द रूपचन्द्र पं० रूपचन्द मुनि रूपचन्द महो० रूपेन्द्रसागर लक्ष्मीचन्द्र गणि लक्ष्मीविमल गणि
३६१,३८० ३४७, ६२२, ६२३, ६२४, ६२५, ६२६ ७७,८२,१०७,११२, १५४ ३२८ २६४ ७१६,७१७ ३४७ ६२९ ४५७ ४१२ २९४
६४६
६२८ ५२३,५२६,५५५,५५७ ४६०,४६१,४६२ ४४१ ४९६ ६६९ २४०
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218