Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar
View full book text
________________
१६९
२१९
३६
११३,१५३
४१५
१४२, २०४ ३९३ ४११, ६२९ ३८७
४४१
६९१,६९२,७१६,७१७ ५१,९४
प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभाग: पार्श्वचन्द्र सूरि पासचन्द्रसूरि पुण्यनन्दन गणि पुण्यप्रिय गणि पुण्यरत्नसूरि पुण्यविजय पुण्यविजय पं. पुण्यविजय उ. पुण्यशील गणि पुण्यश्री पूर्णचन्द्रसूरि पूर्णभद्रसूरि प्रतापविजय प्रतापसागर पं० प्रेमचंद (प्रेमधीर) प्रेमसुखमुनि पं० बुद्धिविजय गणि (बूटेराय) भद्रेश्वरसूरि भाग्यनन्दन भानुसमीर भावसागर भावदेवसरि भावरत्नसूरि भुवनचन्द्रसूरि भोजसागर मतिसुन्दर मनरूप पं० मनरूपसागर मयासागर गणि महिमरंग गणि
४११,४१२ ३७६,४९७ ४६०,४६१ ६८२, ६८३, ६८४, ६८५ ७२४
१६
१२९
३०२
३४७
१८
3२८
२४६
५५६
५५८
२९२
३७८
२४०
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218