Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar
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प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः
(६७३) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ संवत् १९६५ वर्षे वैशाख सुदि दशम्यां चन्द्रवारे दादा साहब श्रीजिनकुशलसूरिचरणपादुका स्थापिता श्रीराजनांदगांवनगरे समस्त संघेन प्रतिष्ठितं मुनि सुमतिसागर........।
(६७४) पार्श्वनाथ-मूलनायकः । ॥ संवत् १९६५ ज्येष्ठ कृष्ण १० चन्द्रे श्रीपार्श्वजिनबिंबं प्रतिष्ठितं च श्रीरतलामनगरे ॥ तपागच्छाधिपतिः श्रीमत्सूरिर्विजयराजयः तत्पट्टे विजयरत्नसूरिः श्रीपदपूर्वक ॥ १॥ श्रीहीररत्नसूरिस्तद्रनस्तस्यपट्टशिष्योऽभूत्। तस्यानुक्रमश्रेण्यामधुना श्रीसुमतिरत्नसूरिर्यः॥ २॥ श्रीः॥
(६७५) शिलापट्टप्रशस्तिः ॥ श्री अर्हताय नमः॥ श्रीचौरासीगच्छ सिणगारहार जंगम युगप्रधान परउपगारी भट्टारक दादाजी श्रीश्री १०८ श्रीश्रीजिनदत्तसूरजी श्रीश्रीजिनकुशलसूरजी रो मिंदर भड़गतीया करणमलजी बेटा सांवतमलजी रा पोता सुरजमलजी रा मेड़ता वाला करायो तिणरी प्रतिष्ठा संवत् १९६५ जेठ सुद १२ कराय संवत् १९६५ रा आसोज वद १० ने श्रीसकल श्रीसंघने सुपरत कियो हस्ताक्षरः मिश्र पूर्णचंद गौड॥
(६७६) जिनदत्तसूरि-पादुका ॥ विक्रम सं० १९६५ शा० १८३० प्र० ज्येष्ठ मासे शुक्लपक्षे १२ द्वादश्यां गुरुवारे बृहत्खरतरगच्छे भट्टारक जंगम युगप्रधान दादाजी महाराज श्रीश्रीश्री १०८ श्रीजिनदत्तसूरजी महाराज पादुका प्रतिष्ठितं भड़ग० श्रे० करणमल सावंतमल सुतः॥ प्रतिष्ठितं पं० लालविजयेन ॥
(६७७) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ विक्रम सं० १९६५ शा० १८३० प्र० ज्येष्ठ मासे शुक्लपक्षे १२ द्वादश्यां गुरुवारे बृहत्खरतरगच्छे भट्टारक जंगम युगप्रधान दादाजी महाराज
६७३. राजनांदगांव पार्श्वनाथ मन्दिर ६७४. रतलाम जगवल्लभ पार्श्वनाथ मन्दिर ६७५. मेड़ता रोड दादाबाड़ी ६७६. मेड़ता रोड दादाबाड़ी ६७७. मेड़ता रोड दादाबाड़ी
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