Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

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Page 160
________________ प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह : द्वितीयो विभागः (६९८ ) जिनमुक्तिसूरि- पादुका श्रीनृपतिविक्रमार्कप्रवर्तित १९७८ मितेब्दवर्तमाने तत्र मार्गशीर्षमासे कृष्णपक्षे शुभतिथौ त्रयोदश्यां रविवासरे जं । यु । प्र । बृ । ख । भ । श्रीजिनमुक्तिसूरीश्वराणां चरणस्थापना श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वराणामुपदेशात् । जयपुर श्रीसंघेन कृता । (६९९) आदिनाथ - मूलनायक : श्री आदीश्वरमूर्ति जैपुरवा. ढढ्ढा गो० ० कन्हैयालाल सत्कात् का० प्र मुनि श्री मग्नसागरैः सं० १९८० उखलाणा गां० श्रीरस्तु । (७००) पार्श्वनाथ - एकतीर्थी: रौप्यमय ॥ सं० १९८६ मि । जे । सु । ११ श्रीपार्श्वबिंबं का । श्रीमालवंशे ढोरगोत्रे घासीलाल तत्पुत्र पूनमचंदेन कारि । प्रति । भ । रत्नसूरिभिः ( ७०१ ) जिनचन्द्रसूरि - पादुका ॥ सं० १९८६ । मिति ज्येष्ठ शुक्ला ११ सोमे इयं । चरण पादुका जं । । । बृ । भ । श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वराणां कारापितं जैपुरवास्तव्य ढोरगोत्रे गोपीचंद तत्पुत्र मांगीलालेन प्रतिष्ठितं रङ्गविजयखरतरगणे श्री ॥ (७०२) जिनरङ्गसूरि - पादुका ॥ सं० १९८६ मिति ज्येष्ठ शुक्ला १९ सोमे इयं चरणपादुका जं । यु । प्र । बृ । भट्टारक श्रीजिनरङ्गसूरीश्वराणां कारापिता जैपुरवास्तव्य ढोरगोत्रे गोपीचन्द्र तत्पुत्र मांगीलालेन प्रतिष्ठितं रङ्गविजयखरतरमणे श्री । सूरिभिः । १३५ (७०३) आदिनाथ - एकतीर्थी : रौप्यमय सं० । १९८७ म । माघ सुदि ६ ऋषभजिनबिंबं प्र । भ । श्रीजिनरल - ६९८. जयपुर मोहनबाड़ी ६९९. उखलाना आदिनाथ मन्दिर ७००. जयपुर पूनमचंद ढोर गृह देरासर ७०१. जयपुर श्रीमालों की दादाबाड़ी ७०२. जयपुर श्रीमालों की दादाबाड़ी ७०३. जयपुर श्रीमालों की दादाबाड़ी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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