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प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः
१३१ श्रीश्री १०८ श्रीकुशलसूरजी महाराज पादुका प्रतिष्ठितं भड़गतिया करणमल सावंतमल सुतः॥ प्रतिष्ठितं पं० लालविजयेन ॥
(६७८) दादा-पादुका-युग्म ॥ दादाजी जिनदत्तसूरि ॥ जिनकुशलसूरि ॥ सं० १९६७ मा० सु० ५ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः कारितं.........गोत्रीय।
(६७९) सुधर्म-गौतमस्वामी-पादुके ॥ श्री सुधर्मास्वामी जी॥ श्री गौतमस्वामीजी॥ संवत् १९६७ रा माघ सुदि ५ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः हरिसचंद।
(६८०) जिनदत्तसूरि-पादुका __ श्रीजिनदत्तसूरिजी महाराज चरणपादुकेभ्यो नमः वीर सं० २४४५ विक्रम सं० १९६९ पो० शु० ९ गुरु मेड़तवाल श्री श्रीमल नेमिचंद केकड़ी श्रीश्रीश्री १०८ महाभट्टारक बृहत्खरतरगच्छाधिपति।
(६८१) पुण्यश्री-पादुका पूज्यपाद गुरुवर्या श्रीमती पुण्यश्रीजी महाराज साहब के चरणों की प्रतिष्ठा वीर संवत् २४४७ विक्रम संवत् १९७० के वैशाख शुक्ला ६ गुरुवार के रोज समस्त श्रीसंघने करवाई।
(६८२) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ संवत् १९७१ शाके १८३६ वैशाख मासे शुभे कृष्णे १२. तिथौ बुधवासरे भडगतिया फतेमलजी कल्याणमलजी तत्पुत्र कस्तूरमलजी जेवंतमलजी तत्माता जवारबाई कारापितं प्रतिष्ठितं भ। ख। श्रीश्री १०८ श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः राज्ये प्रवर्तमाने पन्यास हर्षमुनि पं। प्र। प्रेमसुख मुनि वि..........श्रीजिनकुशलसूरिच० पादुका।
६७८. जयपुर पञ्चायती मन्दिर ६७९. जयपुर पञ्चायती मन्दिर ६८०. केकड़ी चन्द्रप्रभ मन्दिर ६८१. जयपुर मोहनबाड़ी ६८२. अजमेर भड़गतियों का आदीश्वर मन्दिर
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