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प्रतिष्ठा - लेख - संग्रहः द्वितीयो विभागः
(६६९) उ० तिलकधीर - नेमिचंद पादुके
॥ संवत् १९५८ का मिति माघ सुदि १३ गुरुवासरे श्रीसवाई जयपुरनगरवास्तव्य बृहत्खरतरभट्टारक गच्छे उ । तिलकधीरगणि उ । नेमिचन्द्र इतिनामकौ तत्शिष्य पं । प्र । लक्ष्मीचन्द्रगणि पं । ज्ञानलाल पं । सुंदरलालेन गुरुचरणकमल प्रतिष्ठा कारापितं ॥ श्री ॥ जंगम यु । प्र । भट्टारक श्री १००८ श्री श्री श्री श्रीजिनकीर्तिसूरिविजयराज्ये ॥ जं । प्र । भट्टा । श्री १०८ श्री श्री श्री श्रीजिनचन्द्रसूरि प्रतिष्ठितं ॥ शुभं भवतु ॥
(६७०) शिलालेख प्रशस्तिः
ॐ श्रीं यह मन्दिर श्री जैन श्वेताम्बराम्नाय का श्रीऋषभदेवजी महाराज का है। इसकी प्रतिष्ठा शुभ संवत् १९५८ शाके १८२३ माघ शुक्ला १२ बुधवार पुनर्वसुनक्षत्र मीनलग्न में खरतरगच्छाचार्य भट्टारक श्रीपूज्यजी महाराज श्री १०८ श्रीजिनसिद्धिसूरीजी बीकानेर वालों के करकमलों से हुई। यह मन्दिरजी जौहरी सेठ भूरालाल गोकलचंद पुंगलिया जयपुर निवासी ने अपने द्रव्य से करवाया शुभम्भवतु ।
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(६७१) जड़ावश्री पादुका
संवत् १९६३ ज्येष्ठ मासे कृष्णपक्षे दुतिया दिने । यति हीराचन्द्रेण वि । पूज्य श्री १०८ श्रीलई श्रीजी तच्चरणांबुजा चेलीजी श्रीजड़ाव श्रीजी का चरणपादुका प्रतिष्ठितं श्रीमत्तपागच्छे ।
(६७२) आत्मारामजी मूर्ति:
॥ न्यायाम्भोधि श्रीतपागच्छालङ्कारसार भट्टारक श्रीविजयानंदसूरीश्वराणां प्रसिद्ध नाम श्री १००८ श्रीमनात्मारामजी महाराज की मूर्ति श्रीसंघ जयपुर करापिता प्रतिष्ठिता मुनिमहाराज श्रीमोतीविजयेन मालपुरा नगरे विक्रम संवत् १९६४ ज्येष्ठ शुक्ला ११ शनिवार में ।
६६९. जयपुर मोहनबाड़ी
६७०. जयपुर स्टेशन मन्दिर ६७१. कोटा माणिकसागर मन्दिर
६७२. जयपुर नया मन्दिर
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